बीकानेर। सरकार जहां पीबीएम अस्पताल को आधुनिक सुविधाओं, महंगे उपकरणों और मुफ्त दवा योजना के तहत करोड़ों रुपये उपलब्ध करा रही है, वहीं जमीनी हालात इससे बिल्कुल अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को आज भी सामान्य और जरूरी दवाइयों के लिए मेडिकल स्टोर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। नतीजतन, निशुल्क दवा योजना होते हुए भी मरीजों की जेब पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
वार्डों से लगातार मिल रही शिकायतें
पीबीएम अस्पताल के कई वार्डों से लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं कि सीरिंज, केनुला, नॉर्मल सलाइन (एनएस) और एनएस में उपयोग होने वाली दवाइयां अस्पताल में उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर मरीजों के परिजनों से बाहर से मंगवाई जा रही हैं। यह स्थिति तब है, जब राज्य सरकार हर वर्ष मुफ्त दवा योजना पर भारी राशि खर्च कर रही है।
शिकायत के बाद सामने आई चौंकाने वाली हकीकत
मामला उस समय और गंभीर हो गया, जब भाजपा नेता वेद व्यास को मेडिसिन कैजुअल्टी में भर्ती एक महिला मरीज के परिजनों का फोन आया। परिजनों ने बताया कि उनसे इलाज के लिए जरूरी सामग्री बाहर से लाने को कहा जा रहा है। शिकायत मिलने पर वेद व्यास स्वयं अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया।
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निरीक्षण के दौरान सामने आया कि जिन दवाइयों और सामग्री की कमी बताई जा रही थी, वही वस्तुएं डायबिटीज विंग के स्टोर में पर्याप्त मात्रा में मौजूद थीं। स्टोर में नॉर्मल सलाइन के करीब 30 कार्टून भरे हुए मिले। इसके बावजूद मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
भ्रष्टाचार और हेराफेरी के आरोप
वेद व्यास ने आरोप लगाया कि दवाइयों की कमी का झूठा बहाना बनाकर सरकार की छवि खराब की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्टोर में पर्याप्त दवाइयां होते हुए भी उन्हें वार्डों तक नहीं पहुंचाया जा रहा, जो सिस्टम के भीतर गंभीर लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। उनका दावा है कि कथित कमी दिखाकर निजी दुकानों से दवाइयां मंगवाने का एक पूरा नेटवर्क सक्रिय है, जिसमें कमीशनखोरी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
सरकार के निर्देशों के बावजूद लापरवाही
गौरतलब है कि चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि राज्य के किसी भी अस्पताल में दवाइयों की कमी नहीं होनी चाहिए और यदि कहीं समस्या आती है तो उसका तुरंत समाधान किया जाएगा। इसके बावजूद पीबीएम जैसे बड़े सरकारी अस्पताल में मूलभूत दवाइयों के लिए मरीजों को परेशान किया जाना कई सवाल खड़े करता है।
सरकार को अवगत कराने की चेतावनी
वेद व्यास ने कहा कि यदि इस अव्यवस्था पर जल्द रोक नहीं लगी, तो वे इस पूरे मामले को सरकार के संज्ञान में लाकर कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे। उन्होंने चेताया कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो सरकारी योजनाओं का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा और इसका सीधा नुकसान उन मरीजों को होगा, जो बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर पीबीएम अस्पताल पहुंचते हैं।


