नई दिल्ली। संसद में लगातार दो दिनों तक चली तीखी बहस और भारी हंगामे के बाद गुरुवार को केंद्र सरकार का नया G Ram G बिल लोकसभा में पारित हो गया। विपक्ष के तीव्र विरोध के बावजूद सरकार ने इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दिला दी। बिल के पारित होते ही विपक्षी सांसदों ने सदन में विरोध जताया और इसकी प्रतियां फाड़कर अपना आक्रोश प्रकट किया।
मनरेगा की जगह लाया गया नया विधेयक
G Ram G बिल को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के विकल्प के तौर पर पेश किया गया है। सरकार का कहना है कि यह नई योजना ग्रामीण रोजगार व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाएगी, जबकि विपक्ष इसे गरीबों के अधिकारों पर चोट बता रहा है। इसी मुद्दे पर पिछले दो दिनों से लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग
विपक्षी दलों की मांग थी कि इस महत्वपूर्ण विधेयक को सीधे पारित करने के बजाय पहले संसदीय स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए, ताकि इसके प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा हो सके। हालांकि सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया। स्पीकर द्वारा बिल के पास होने की घोषणा के बाद विपक्षी सांसद वेल में आ गए और नारेबाजी के साथ विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं।
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100 की जगह 125 दिन का रोजगार
नए G Ram G बिल के लागू होने के साथ ही 2004 में यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा योजना समाप्त मानी जाएगी। जहां मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों को साल में 100 दिन का रोजगार मिलता था, वहीं नई योजना में 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। इसके अलावा फसल की बुआई और कटाई के समय दो महीने के विशेष अवकाश का प्रावधान भी जोड़ा गया है। मजदूरी भुगतान की समय-सीमा को भी घटाकर 15 दिन से 7 दिन कर दिया गया है।
विपक्ष का सड़क से संसद तक विरोध
बिल के विरोध में INDIA गठबंधन के सांसदों ने संसद परिसर के बाहर भी प्रदर्शन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी सांसद हाथों में बैनर लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए। प्रदर्शन के दौरान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और संवैधानिक मूल्यों को लेकर भी सवाल उठाए गए।
कृषि मंत्री का जवाब
लोकसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार किसी भी वर्ग के साथ भेदभाव नहीं करती। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी सरकार के लिए प्रेरणा हैं और उनका सम्मान सर्वोपरि है। चौहान ने यह भी तर्क दिया कि रोजगार योजना में गांधी जी का नाम 2009 के चुनावी दौर में जोड़ा गया था और नई योजना का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूत करना है।
राजनीतिक टकराव के संकेत
G Ram G बिल के पारित होने के साथ ही यह साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक टकराव और तेज हो सकता है। जहां सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे जनविरोधी करार दे रहा है।


