बीकानेर। कोलायत के आदर्श नगर क्षेत्र में मृतक चरण सिंह के नाम पर किए गए फर्जी रजिस्ट्री घोटाले का राज 12 साल बाद खुल गया है। अदालत में पेश हुए सबूतों के आधार पर यह धोखाधड़ी बेनकाब हुई। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट माधवी मोदी ने मामले में गोविंदराम निवासी कोटड़ी, कोलायत और रणजीत सिंह निवासी पारवा, नोखा को दोषी करार दिया। अदालत ने माना कि दोनों ने जालसाजी और धोखाधड़ी में सक्रिय भूमिका निभाई।
कैसे शुरू हुआ फर्जीवाड़ा
1976 में ग्राम पंचायत ने चरण सिंह को 3200 वर्गफुट का प्लॉट आवंटित किया था। वर्ष 1997 में उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र अबजिंदर सिंह वैध उत्तराधिकारी बने। लेकिन 11 मार्च 2013 को संतोख सिंह नामक व्यक्ति ने खुद को मृतक चरण सिंह बताकर अजयपाल और निशांत सिंह के नाम रजिस्ट्री करवा दी। इस धोखाधड़ी में गोविंदराम और रणजीत सिंह गवाह बनकर शामिल हुए।
शिकायत के बाद खुली परतें
घोटाले की जानकारी होने पर अबजिंदर सिंह ने कोलायत थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस जांच में फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने रजिस्ट्री में लगे अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर की जांच की, जिसमें वे फर्जी पाए गए। इससे पूरे मामले की सच्चाई सामने आ गई।
- Advertisement -
मुख्य आरोपी की मौत
जांच के दौरान मुख्य आरोपी संतोख सिंह की मौत हो गई, जिसके चलते उसके खिलाफ आगे की कार्यवाही समाप्त हो गई। हालांकि अदालत ने अन्य दो आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा के लिए उपयुक्त पाया।
न्यायालय का रुख
अदालत ने टिप्पणी की कि इस तरह की रजिस्ट्री धोखाधड़ी न केवल संपत्ति मालिकों के अधिकारों का हनन करती है बल्कि सरकारी रिकॉर्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है।


