जयपुर। राजस्थान में अब मकान, फ्लैट, दुकान या जमीन जैसी किसी भी अचल संपत्ति को किराए पर देने पर किरायानामा रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार ने रजिस्ट्रीकरण नियमों में संशोधन करके यह बड़ा बदलाव लागू किया है। यह प्रावधान संपत्ति मालिक और किराएदार, दोनों के लिए कानूनी रूप से आवश्यक होगा।
अब 11 माह के एग्रीमेंट से नहीं बचा जा सकेगा रजिस्ट्रेशन
पहले केवल एक वर्ष या उससे अधिक अवधि के किरायानामों को रजिस्टर्ड कराया जाता था। इसी कारण अधिकतर मकान मालिक 11 माह के एग्रीमेंट करके रजिस्ट्री शुल्क से बच जाते थे। इससे सरकार को सालाना लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान होता था।
नए संशोधित नियमों में स्पष्ट कर दिया गया है कि अब एक वर्ष से कम अवधि के किरायानामे का भी पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- Advertisement -
समय अवधि के अनुसार अलग-अलग शुल्क संरचना
राज्य सरकार ने किरायानामे की रजिस्ट्री पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क की दरें समय अवधि के आधार पर निर्धारित की हैं।
-
11 माह तक की अवधि के किरायानामे पर स्टाम्प ड्यूटी संपत्ति के बाजार मूल्य का 0.02% होगी।
-
रजिस्ट्रेशन फीस कुल स्टाम्प ड्यूटी का 20% होगी।
30 वर्ष या अधिक अवधि वाले किरायानामे की सामान्य तरह रजिस्ट्री
यदि किसी संपत्ति को 30 वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए किराए पर दिया जाता है, तो उसके किरायानामे की रजिस्ट्री सामान्य संपत्ति खरीद-बेचान की तरह करवाई जाएगी। ऐसे मामलों में सभी शुल्क वही होंगे जो किसी प्रॉपर्टी की नियमित रजिस्ट्री पर लागू होते हैं।
एक उदाहरण से समझें नई व्यवस्था
मान लें कि 200 वर्ग मीटर के प्लॉट पर बने मकान में से 100 वर्ग मीटर हिस्सा (दो कमरे, रसोई, लैट-बाथ, हॉल आदि) 10 माह की अवधि के लिए किराए पर दिया जाता है। ऐसे मामले में किरायानामे की रजिस्ट्री उसी नई दरों के अनुसार की जाएगी जो सरकार ने निर्धारित की हैं।
किरायानामा रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी किया गया
सरकार का मानना है कि यह कदम—
-
मालिक और किराएदार के बीच होने वाले विवाद कम करेगा।
-
फर्जी किरायानामों और नकली पहचान पर होने वाले अपराधों पर रोक लगाएगा।
-
राजस्व में बड़ा सुधार लाएगा।


