राजस्थान के सरहदी जिले श्रीगंगानगर में नशे का कारोबार अब एक खुले सुपरमार्केट की तरह फल-फूल रहा है। शहर की गलियों, बस स्टैंडों और सुनसान पुलियाओं के पास ऐसा तंत्र खड़ा हो चुका है, जहां नशे की मांग होते ही चिट्टा से लेकर मेडिकेटेड गोलियों तक का माल तुरंत उपलब्ध करा दिया जाता है। स्थानीय जांच में सामने आया है कि यह पूरा नेटवर्क इतनी सहजता से संचालित होता है कि पुलिस की मौजूदगी भी इन तस्करों के आत्मविश्वास को कम नहीं कर पा रही।
बिचौलियों का नेटवर्क सक्रिय
शहर के केन्द्रीय बस स्टैंड और पद्मपुर रोड के श्यामनगर क्षेत्र में बिचौलियों ने अपने ठिकाने बना रखे हैं। यहां आने वाले ग्राहकों को पहले परखा जाता है, फिर सौदेबाजी शुरू होती है। कभी 500 रुपये में चिट्टा, तो कभी 1500 रुपये में ट्रामाडोल जैसी नशीली गोलियों की सप्लाई—यह सब खुले में होता दिख रहा है।
टीम की दो दिन की जांच में बड़ा खुलासा
दो दिनों तक इलाके में निगरानी के बाद पाया गया कि युवा और किशोर बड़ी संख्या में इन बिचौलियों के संपर्क में आते हैं। जांच के दौरान पत्रिका टीम ने एक बिचौलिए से बात की। पहले उसने शक जताया, लेकिन जैसे ही ग्राहक का बहाना दिया गया, वह सहज हो गया। उसने बताया कि चिट्टे पर फिलहाल सख्ती है, इसलिए गोलियों की बिक्री बढ़ी है। तीन पत्तों की कीमत डेढ़ हजार रुपये बताई गई और कहा गया कि ज्यादा मात्रा के लिए कीमत और बढ़ेगी।
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सौदेबाजी का पूरा तरीका
जांच में सामने आया कि बिचौलिया पहले सामने वाले की मंशा समझने की कोशिश करता है। अगर उसे लगता है कि ग्राहक भरोसेमंद है, तो वह उपलब्ध नशे के बारे में जानकारी देता है। कई बार माल की कमी बताकर कुछ देर रुकने को कहा जाता है, ताकि सप्लाई पहुंचते ही सौदा पूरा किया जा सके।
कानून के लिए चुनौती
सीमावर्ती क्षेत्रों से लगातार नशे की खेप पहुंचने और स्थानीय स्तर पर मजबूत हो चुके इस नेटवर्क ने कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की निष्क्रियता से तस्करों के हौसले और बढ़े हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो श्रीगंगानगर आने वाले समय में नशे का बड़ा केंद्र बन सकता है।


