देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो मौजूदा संचालन संकट के बीच अब सरकारी जांच के घेरे में आ गई है। आरोप है कि एयरलाइन ने नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को समय पर लागू करने के बजाय कई हफ्तों तक ढील और छूट मांगने में ऊर्जा खर्च की, जिसके चलते क्रू की तैनाती प्रभावित हुई और हजारों यात्रियों को देरी तथा रद्द उड़ानों का सामना करना पड़ा। केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीर मानते हुए चार सदस्यीय समिति गठित की है, जो नियमों के क्रियान्वयन और एयरलाइन की तैयारियों की विस्तार से जांच करेगी।
क्या इंडिगो ने नियम टालने की कोशिश की?
सूत्रों के अनुसार, समिति अक्टूबर के अंतिम दिनों में DGCA और इंडिगो के बीच हुई बातचीत की समीक्षा करेगी। जांच का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि क्या एयरलाइन ने खासकर रात की लैंडिंग से जुड़े प्रावधानों में ढील पाने की कोशिश की। वरिष्ठ अधिकारियों का मत है कि इंडिगो को इस अवधि में अपनी संचालन क्षमता मजबूत करनी चाहिए थी, न कि राहत मांगने पर ध्यान देना चाहिए था।
क्रू रोस्टरिंग सॉफ्टवेयर अपडेट में देरी की पड़ताल
नए FDTL नियमों के तहत जेप्पेसन रोस्टरिंग सिस्टम का अनिवार्य अपडेट जरूरी था। समिति यह भी देखेगी कि क्या एयरलाइन ने जानबूझकर इस अपडेट को टालने की कोशिश की, ताकि उसे अतिरिक्त समय या नियामकीय नरमी मिल सके। इंडिगो ने इस विषय पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है।
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DGCA की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में
जांच केवल एयरलाइन तक सीमित नहीं है। यह भी देखा जाएगा कि अदालत के निर्देशों के बावजूद DGCA ने इंडिगो के अनुरोधों को किस आधार पर संभाला। दावा है कि जहां बाकी एयरलाइनों ने अपनी तैयारी रिपोर्ट समय से जमा कर दी, वहीं इंडिगो ने ऐसा नहीं किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
समय पर रोस्टर न जारी होने से बिगड़ा संचालन
इंडिगो आमतौर पर हर माह 25 तारीख को पायलटों का रोस्टर घोषित करता है, लेकिन नवंबर के लिए आधे शेड्यूल को 29 अक्टूबर तक रोका गया और बाकी हिस्सा 13 से 14 नवंबर के बीच जारी किया गया। दिसंबर का रोस्टर भी इसी तरह देरी से आया। वर्तमान संकट के बाद एयरलाइन ने अस्थायी शॉर्ट-टर्म रोस्टर लागू किया है, जो तब तक जारी रह सकता है जब तक संचालन स्थिर न हो जाए या 10 फरवरी 2026 की लागू अंतिम समयसीमा पर पुनर्विचार न किया जाए।
पायलटों का पक्ष: नियम सुरक्षा के लिए अनिवार्य
कई पायलटों का कहना है कि नए नियम उड़ान सुरक्षा और पर्याप्त विश्राम के लिए जरूरी हैं और इनमे किसी भी प्रकार की ढील सुरक्षा मानकों को कमजोर कर सकती है। एक वरिष्ठ पायलट के अनुसार, नियमों के कड़ाई से पालन की मांग केवल पायलटों की नहीं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा से भी जुड़ी है। कुछ सूत्रों ने यह भी कहा कि अतिरिक्त आराम घंटे देने के बदले छुट्टियाँ कम करना नियमों की भावना के विरुद्ध है।
संचालन बहाल करने के प्रयास और रिफंड की स्थिति
एयरलाइन ने रविवार तक अपने संचालन का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा बहाल कर दिया और 1,650 उड़ानें वापस सेवा में लाईं, जबकि सामान्य औसत लगभग 2,200 उड़ानों का होता है। इंडिगो का दावा है कि 10 दिसंबर तक संचालन पूरी तरह सामान्य हो जाएगा। यात्रियों को अब तक 610 करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड जारी किए जा चुके हैं।
सरकार का सख्त रुख
केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि नियम लागू करने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद इंडिगो ने अपेक्षित तैयारी नहीं की। उन्होंने बताया कि एयरलाइन के सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और जवाब के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है। सरकार का मानना है कि यात्रियों को हुई परेशानी के लिए जवाबदेही तय होना जरूरी है।


