लोकसभा में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज विशेष चर्चा की शुरुआत हुई, जिसके दौरान राजनीतिक माहौल काफी तीखा नजर आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में भाषण देते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कुछ नेताओं ने मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में वंदे मातरम् का विरोध किया और इसकी आड़ में देश की भावनाओं को नजरअंदाज किया गया। प्रधानमंत्री के बयान के बाद सदन में इस मुद्दे पर कई दलों ने अपनी राय रखी।
लोकसभा में लंबी बहस की रूपरेखा
इस विषय पर एनडीए के सांसदों को तीन घंटे का समय दिया गया है, जबकि कुल बहस दस घंटे चलेगी। मंगलवार को यही चर्चा राज्यसभा में भी होनी है, जिसके चलते संसद का माहौल लगातार गर्म पाया जा रहा है।
टीवी डिबेट का क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल
सदन के बाहर भी वंदे मातरम् को लेकर बहस जारी है। हाल ही में एक टीवी डिबेट का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से घूम रहा है, जिसमें विहिप के नेता विनोद बंसल से एंकर ने गीत की एक पंक्ति फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम् का अर्थ पूछा। सवाल सुनते ही बंसल ने पलटकर पूछा कि क्या चैनल पर टेस्टिंग चल रही है। इस पर एंकर ने जवाब दिया कि जब नेता देश की परीक्षा लेने की स्थिति में रहते हैं, तो उनसे सवाल पूछना भी जरूरी है।
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विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
सपा सांसद राजीव राय ने इस बहस को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि यदि सदन में ऐतिहासिक घटनाओं पर चर्चा हो रही है तो उन व्यक्तियों पर भी बात होनी चाहिए जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के समय अंग्रेजों का साथ दिया। उनके अनुसार, ऐसे अध्यायों को जानना आवश्यक है ताकि इतिहास का संतुलित रूप सामने आ सके।
इसी कड़ी में आरजेडी के सांसद मनोज झा ने भी वंदे मातरम् पर चल रही विस्तृत बहस पर अपनी राय रखते हुए कहा कि किसी भी मुद्दे पर विचार करते समय उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अर्थों को समझना उतना ही जरूरी है जितना कि उसके प्रतीकात्मक महत्व को।


