जैसलमेर में ऐतिहासिक न्यायिक सम्मेलन: CJI से लेकर जिला जजों तक, डिजिटल दौर की चुनौतियों पर व्यापक मंथन
राजस्थान के जैसलमेर में 13 और 14 दिसंबर को पश्चिमी भारत का अब तक का सबसे बड़ा न्यायिक सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम आधुनिक न्याय प्रणाली के सामने खड़ी हो रही डिजिटल चुनौतियों और तकनीकी बदलावों पर सामूहिक मंथन के लिए महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।
इस सम्मेलन में भारत के प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, सुप्रीम कोर्ट के लगभग 20 न्यायाधीश, 50 से अधिक हाईकोर्ट जज और राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश के 100 से ज्यादा जिला एवं सत्र न्यायाधीश शामिल हो रहे हैं। आयोजन का उद्देश्य न्यायपालिका के भविष्य को तकनीकी परिवर्तनों के अनुरूप मजबूत बनाना है।
क्यों खास है यह न्यायिक सम्मेलन
न्यायिक विशेषज्ञों के मुताबिक, डिजिटल मीडिया के विस्तार, साइबर अपराधों की जटिलता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेजी से बढ़ते प्रभाव के कारण न्यायिक ढांचे में बड़े परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में न्यायाधीशों का एक मंच पर बैठकर इन चुनौतियों पर ठोस रणनीति तैयार करना आवश्यक हो गया है।
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, राजस्थान हाईकोर्ट और राज्य न्यायिक अकादमी इस सम्मेलन का संयुक्त आयोजन कर रहे हैं। इससे पहले सितंबर में भी शीर्ष न्यायाधीशों की एक महत्वपूर्ण बैठक रणथंभौर में हुई थी।
सूत्रों के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित बॉम्बे, गुजरात और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से छह–छह न्यायाधीश जैसलमेर पहुंचेंगे। राजस्थान हाईकोर्ट के सभी न्यायाधीश भी शामिल होंगे, जिससे यह पश्चिमी भारत की सबसे व्यापक न्यायिक बैठक बन जाएगी।
दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस: प्रमुख सत्र और विषय
पहला दिन
सत्र 1 – डिजिटल डिवाइड और ई-सेवाओं की भूमिका
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न्यायिक सेवाओं में डिजिटल पहुंच का मूल्यांकन
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ई-कोर्ट प्रोजेक्ट की संभावनाएं और उसकी सीमाएं
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विविध न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने में तकनीक का उपयोग
सत्र 2 – इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया की संवैधानिक चुनौतियां
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डिजिटल गोपनीयता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
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आपत्तिजनक ऑनलाइन सामग्री पर न्यायिक हस्तक्षेप
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न्यायालयों पर मीडिया रिपोर्टिंग का प्रभाव
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डिजिटल सेंसरशिप की वैधानिक सीमाएं
सत्र 3 – वैकल्पिक विवाद समाधान में तकनीक का विस्तार
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एडीआर के नए रूप और प्रयोग
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ऑनलाइन विवाद समाधान प्लेटफॉर्म
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स्मार्ट निगोशिएशन और बुद्धिमान डिसीजन सपोर्ट सिस्टम की संभावनाएं
दूसरा दिन
सत्र 4 – साइबर अपराध और डिजिटल फॉरेंसिक
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साइबर अपराध मामलों में क्षेत्राधिकार की जटिलताएं
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डिजिटल प्लेटफॉर्म और मध्यस्थ कंपनियों की जवाबदेही
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इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की विश्वसनीयता और अदालत में उनकी स्वीकार्यता
सत्र 5 – भविष्य की तकनीक और न्यायनिर्णयन की गुणवत्ता
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न्यायिक निर्णयों में एआई के उपयोग पर विचार
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रिकॉर्ड संरक्षण में ब्लॉकचेन तकनीक की भूमिका
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उभरती तकनीकें और न्याय प्रणाली में उनके संभावित उपयोग
यह सम्मेलन न केवल पश्चिमी भारत बल्कि पूरे देश की न्यायिक संरचना को तकनीकी युग की जरूरतों के अनुरूप ढालने का मार्ग तैयार करेगा। आने वाले वर्षों में अदालतों की कार्यप्रणाली, डिजिटल सुरक्षा और न्याय प्रदान प्रक्रिया पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है।

