सरकार ने संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉलेशन की अनिवार्यता वापस ली
केंद्र सरकार ने सभी नए स्मार्टफोनों में ‘संचार साथी’ ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने के आदेश को वापस ले लिया है। अब यह ऐप डाउनलोड करना पूरी तरह स्वैच्छिक होगा।
आदेश वापस लेने का कारण
दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 6 लाख से अधिक यूजर्स ने स्वेच्छा से यह ऐप गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर से डाउनलोड कर लिया है। इसे देखते हुए सरकार ने महसूस किया कि जागरूकता अभियान सफल हो रहा है और जबरन प्री-इंस्टॉल करने की आवश्यकता नहीं रही।
सरकार ने स्पष्ट किया कि प्री-इंस्टॉलेशन का निर्देश केवल “एप्लिकेशन को अपनाने की प्रक्रिया को तेज करने” के लिए था, न कि इसे अनिवार्य बनाने के लिए। नागरिकों की निजता और डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
विरोध और चिंताएँ
आदेश जारी होते ही कांग्रेस, AAP, TMC समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। डिजिटल अधिकार संगठनों जैसे इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे निजता पर हमला करार दिया।
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विपक्ष ने कहा कि किसी भी ऐप को फोन में जबरन डालना नागरिकों के निजता अधिकार (आर्टिकल 21) का उल्लंघन है। इसके जरिए अनावश्यक निगरानी की संभावना है।
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
Apple, Samsung जैसी बड़ी स्मार्टफोन कंपनियां भी इस नियम से असहज थीं और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौती देने की तैयारी कर रही थीं।
