राजस्थान की पुरातन हवेलियों को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। प्रवासी राजस्थानी दिवस से ठीक पहले उठाया गया यह कदम उन ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो समय और उपेक्षा के कारण तेजी से जर्जर होती जा रही हैं। शेखावटी, नवलगढ़, सीकर, बीकानेर, जैसलमेर, जयपुर, झुंझुनूं और चूरू सहित कई शहरों में करीब 10 हजार हवेलियां मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश प्रवासी राजस्थानियों की हैं और वर्षों से बंद पड़ी हैं।
सरकार तैयार कर रही नया मॉडल
मुख्यमंत्री स्तर तक मामला पहुंचने के बाद संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए कि हवेलियों को संरक्षित करने के लिए एक स्थाई और आय-सृजन मॉडल तैयार किया जाए। सरकार की योजना है कि इन हवेलियों को केवल संरक्षित ही नहीं बल्कि उन्हें सांस्कृतिक और पर्यटन गतिविधियों से जोड़कर उपयोगी बनाया जाए। इसके लिए भवन मालिकों को आवश्यक सुधार कार्य करने, उपयोग बदलने और गतिविधियां संचालित करने की छूट देने पर भी विचार किया जा रहा है।
बंद हवेलियां बन रहीं बड़ी चिंता
अधिकतर हवेलियों पर ताले लगे रहने से वे टूट-फूट की स्थिति में पहुंच गई हैं। कुछ पर कब्जे हो गए तो कई हवेलियों को तोड़कर कॉमर्शियल बिल्डिंग खड़ी कर दी गईं। सरकार का कहना है कि प्रवासी राजस्थानियों को भरोसे में लेकर हवेलियों को हेरिटेज टूरिज्म के मार्ग से जोड़ा जाएगा। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा और कानूनी सहयोग देने का आश्वासन भी दिया गया है, ताकि मालिक बिना भय के हवेलियों का पुनर्निर्माण कर सकें।
पर्यटन और संस्कृति से जुड़े नए विकल्प
योजना के तहत हवेलियों को कई तरह की गतिविधियों से जोड़ने का प्रस्ताव है, ताकि वे जीवंत और आर्थिक रूप से सक्षम बन सकें। प्राथमिक तौर पर इन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है:
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हेरिटेज गेस्ट हाउस और बुटीक होटल
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आर्ट गैलरी और म्यूजियम
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क्राफ्ट और कल्चरल सेंटर
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संगीत और पारंपरिक कला प्रशिक्षण केंद्र
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पारंपरिक भोजन केंद्र और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
चिंताजनक आँकड़े
राज्य के कई इलाकों में हवेलियों की स्थिति alarm करने वाली बताई गई है:
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जयपुर में कई हवेलियां कॉमर्शियल उपयोग में बदल चुकी हैं।
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शेखावटी क्षेत्र में लगभग 500 हवेलियां टूट चुकी हैं।
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नवलगढ़ में मौजूद 300 हवेलियों में से केवल 165 ही शेष हैं।
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बीकानेर की हवेलियों की संख्या 2000 से घटकर लगभग 1100 रह गई है।
हवेलियों वाले इलाकों को मिलेगा नया रूप
सरकार का एक अहम कदम यह भी है कि हवेलियों से भरे क्षेत्रों को ‘वॉकेबल एरिया’ घोषित किया जाए। इससे पर्यटक पैदल घूमकर स्थानीय कलाकारी, पुरातन स्थापत्य और सांस्कृतिक माहौल को बेहतर ढंग से महसूस कर सकेंगे। इस पहल से पर्यटन के साथ-साथ स्थानीय व्यापार को भी लाभ होने की उम्मीद है।
मांडवा की 150 साल पुरानी हवेली भी योजना में
झुंझुनूं जिले के मांडवा में स्थित 150 वर्ष पुरानी हवेली, जिसे मोहनलाल सर्राफ ने बनवाया था, अपनी अनोखी पेंटिंग और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध रही है। यह हवेली अब जोशी परिवार के पास है, जो इसे होटल के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहा है। हवेली के कई कमरों का नवीनीकरण पूरा हो चुका है।
विभागों में हुई चर्चा
बीआईपी आयुक्त सुरेश ओला ने पुष्टि की है कि प्रवासी राजस्थानियों की हवेलियों के संरक्षण के लिए अलग-अलग विभाग मिलकर कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। पर्यटन विभाग का कहना है कि हवेलियों को हेरिटेज टूरिज्म से जोड़ने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है।
