साइबर ठगी से सावधान: राजस्थान पुलिस ने आमजन को किया अलर्ट
राजस्थान में साइबर अपराधियों ने फेक वेबसाइट का नया जाल बिछा दिया है। पुलिस ने आम लोगों को फर्जी वेबसाइटों से सतर्क रहने के लिए चेताया है। विशेषज्ञों के अनुसार, अब ठग हू-ब-हू असली बैंक या शॉपिंग वेबसाइट जैसी नकली साइट बनाकर लोगों के खाते खाली कर रहे हैं।
अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) पुलिस साइबर क्राइम विजय कुमार सिंह ने बताया कि अपराधी नकली (क्लोन) वेबसाइट बनाकर सोशल मीडिया, एसएमएस और ईमेल के माध्यम से भेजते हैं। लोग जब इन लिंक पर क्लिक करते हैं तो असुरक्षित वेबपेज खुल जाता है, जहाँ उनकी निजी जानकारी और बैंक विवरण चुराए जाते हैं। इसके बाद उनके बैंक खाते या यूपीआई लिंक से धनराशि निकाल ली जाती है।
वेबसाइट सुरक्षा की जांच के चार जरूरी कदम
एडीजी सिंह ने संभावित साइबर ठगी से बचने के लिए निम्न उपाय बताए हैं:
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स्पेलिंग की बारीकी से जांच करें: किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले डोमेन नाम की स्पेलिंग ध्यान से देखें। अपराधी अक्सर एक या दो अक्षरों में बदलाव कर नकली वेबसाइट बनाते हैं (उदाहरण: amazon की जगह amaz0n)।
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HTTPS और लॉक आइकन अवश्य देखें: सुरक्षित वेबसाइट के URL की शुरुआत HTTPS से होती है और एड्रेस बार में ताले का आइकन दिखाई देता है। यदि ये सुरक्षा संकेत नहीं हैं, तो किसी भी वित्तीय या निजी विवरण को दर्ज न करें।
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गूगल सेफ ब्राउज़िंग का उपयोग करें: किसी संदिग्ध लिंक की सुरक्षा जांच के लिए Google Safe Browsing पोर्टल पर लिंक पेस्ट कर देखें कि यह ‘असुरक्षित’, ‘मालवेयर’ या ‘फिशिंग’ तो नहीं दिखा रहा।
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गोपनीय जानकारी साझा न करें: ओटीपी, आधार, पैन या बैंक विवरण किसी अज्ञात व्यक्ति या वेबसाइट से साझा न करें।
साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग
एडीजी सिंह ने कहा कि यदि कोई घटना होती है तो इसे तुरंत संचार साथी पोर्टल पर रिपोर्ट करें। इसके अतिरिक्त नजदीकी पुलिस/साइबर पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। सहायता के लिए साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या हेल्पडेस्क नंबर 9256001930 / 9257510100 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
