देश के प्रमुख एयरपोर्ट्स पर जीपीएस स्पूफिंग का साइबर हमला
देश के कई बड़े हवाई अड्डों पर विमानों को जीपीएस स्पूफिंग और जीएनएसएस इंटरफेरेंस की समस्या का सामना करना पड़ा है। इस बात की आधिकारिक पुष्टि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सोमवार को राज्यसभा में की। इससे विमान संचालन में चुनौतियां बढ़ गई हैं और सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
नवंबर 2025 की शुरुआत में देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर उड़ानों के संचालन में परेशानी देखने को मिली थी। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) पर करीब 800 उड़ानें प्रभावित हुईं। इस दौरान एटीसी की ओर से ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम में खराबी की जानकारी दी गई थी, लेकिन अब संसद में सरकार ने स्पष्ट किया कि यह जीपीएस स्पूफिंग का परिणाम था।
दिल्ली एयरपोर्ट में क्या हुआ
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किनजारापु ने बताया कि आईजीआई हवाईअड्डे पर रनवे 10 पर जीपीएस आधारित लैंडिंग के दौरान कुछ विमानों ने स्पूफिंग की सूचना दी। जैसे ही इस समस्या का पता चला, वैकल्पिक प्रक्रियाओं को अपनाकर विमानों को सुरक्षित रूप से उतारा गया। मंत्री ने कहा कि दूसरे रनवे पूरी तरह सुरक्षित रहे क्योंकि वहां पारंपरिक नेविगेशन सिस्टम उपलब्ध थे।
समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं
सरकार के अनुसार, जीपीएस जामिंग और स्पूफिंग की रिपोर्ट नवंबर 2023 से अनिवार्य की गई है। इसके बाद देश के कई बड़े हवाईअड्डों से यह समस्या लगातार सामने आ रही है। प्रभावित एयरपोर्ट में कोलकाता, अमृतसर, मुंबई, हैदराबाद, बंगलूरू और चेन्नई शामिल हैं। इन सभी जगहों पर जीएनएसएस इंटरफेरेंस की शिकायतें दर्ज हुई हैं।
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जीपीएस स्पूफिंग क्या है?
जीपीएस स्पूफिंग एक साइबर हमला है, जिसमें नकली सिग्नल भेजकर किसी डिवाइस या विमान को गलत लोकेशन दिखाई जाती है। यह विमान के नेविगेशन सिस्टम को गुमराह कर सकता है, जिससे दुर्घटना का जोखिम बढ़ जाता है।
सरकार के आंकड़े
सरकार ने पहले लोकसभा में बताया था कि नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्रों (अमृतसर और जम्मू) में 465 जीपीएस स्पूफिंग घटनाएं दर्ज हुईं। अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 4.3 लाख जीपीएस जैमिंग और स्पूफिंग घटनाएं दर्ज हुईं, जो 2023 की तुलना में 62% अधिक हैं।
