राजस्थान सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना को पारदर्शी बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने स्पष्ट किया है कि 31 दिसंबर को गिव-अप अभियान समाप्त होने के बाद ऐसे सभी अपात्र लाभार्थियों के खिलाफ नियमानुसार दंडात्मक व वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इस संबंध में सभी जिला रसद अधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
पिछले वर्ष 1 नवंबर से शुरू हुए गिव-अप अभियान के तहत अब तक करीब 48 लाख आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्तियों ने स्वेच्छा से अपना नाम खाद्य सुरक्षा सूची से हटाया है। इससे बड़ी संख्या में वास्तविक जरूरतमंद लोगों को खाद्य सुरक्षा योजना से जोड़ने का रास्ता खुला है। मंत्री गोदारा ने संपन्न नागरिकों से अपील की कि वे स्वेच्छा से अपनी खाद्य सब्सिडी छोड़ें, ताकि वंचित वर्ग को योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके।
मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 26 जनवरी को खाद्य सुरक्षा पोर्टल पुनः सक्रिय किए जाने के बाद गिव-अप अभियान और ई-केवाईसी अपडेट न होने से बनी रिक्तियों का उपयोग कर अब तक 70.25 लाख योग्य परिवारों को खाद्य सुरक्षा से जोड़ा जा चुका है।
कौन होंगे खाद्य सुरक्षा योजना के लिए अपात्र?
जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार निम्न परिवार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र नहीं माने जाएंगे:
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जिनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी, अर्द्धसरकारी या स्वायत्तशासी संस्थान में नियमित कर्मचारी/अधिकारी हो।
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जिनके परिवार का कोई सदस्य एक लाख रुपए से अधिक वार्षिक पेंशन पाता हो।
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आयकरदाता परिवार।
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जिनके पास चार पहिया वाहन हो (ट्रैक्टर और एक वाणिज्यिक वाहन को छोड़कर)।
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सालाना 50 हजार रुपए से अधिक बिजली बिल जमा करने वाले।
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जिनके घर में एयर कंडीशनर का उपयोग होता है।
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जो किसान सरकार को एमएसपी पर 100 क्विंटल से अधिक फसल बेचते हों।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति 100 क्विंटल से अधिक फसल एमएसपी पर बेच रहा है, उसका एनएफएसए के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो मुफ्त अनाज लेना तर्कसंगत नहीं है। इसलिए ऐसे मामलों की पात्रता की दोबारा जांच की जाएगी, ताकि केवल वास्तव में जरूरतमंद लोगों को ही इस योजना का लाभ मिले।
राजस्थान सरकार का उद्देश्य है कि खाद्य सुरक्षा सूची से अपात्र लोगों को हटाकर गरीब और वंचित परिवारों को योजनाओं का पूरा लाभ सुनिश्चित किया जाए।
