राजस्थान में DEEO भर्ती का नया फॉर्मूला: 27 साल बाद शिक्षा विभाग में बड़ा बदलाव
राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में शिक्षा विभाग 27 साल बाद एक महत्वपूर्ण बदलाव की तैयारी कर रहा है। लंबे समय से ठंडी पड़ी डीईईओ (जिला प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा अधिकारी) और समकक्ष पदों की सीधी भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। विभाग 50 प्रतिशत पद पदोन्नति और 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती के फॉर्मूले से भरने की योजना पर काम कर रहा है। यह मॉडल लागू होने पर जिलों में नेतृत्व क्षमता, प्रशासनिक दक्षता और शिक्षा गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार देखने को मिल सकता है।
बैठक में हुई चर्चा, 1998 के बाद फिर सक्रिय हुआ मामला
हाल में बीकानेर निदेशालय में हुई बैठक में इस भर्ती प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की गई। यह मसला नया नहीं है। 1998 में भी सरकार ने प्रक्रिया शुरू करने के प्रयास किए थे और नियमावली तक तैयार हुई, लेकिन सीबीईईओ जैसे कुछ पदों के सृजन के अलावा कोई ठोस कदम आगे नहीं बढ़ पाया। परिणामस्वरूप इन पदों पर वरिष्ठ अधिकारियों की अंतिम चरण की पदोन्नतियां ही होती रहीं, जिससे प्रशासनिक कार्यक्षमता प्रभावित हुई।
डीईईओ और समकक्ष पदों का मौजूदा ढांचा
| पदनाम | स्वीकृत पद |
|---|---|
| डीईईओ (प्राथमिक) | 41 |
| डीईईओ (माध्यमिक) | 41 |
| सीबीईईओ | 378 |
| एडीपीसी | 33 |
| डाइट प्राचार्य | 33 |
| कुल | 526 |
यह संरचना बताती है कि इतने महत्वपूर्ण पदों पर लगातार रिक्तियां और पदोन्नति-आधारित नियुक्तियां विभागीय योजनाओं और निर्णयों को प्रभावित करती रही हैं।
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युवा शिक्षकों के लिए खुल सकता है उच्च पदों का रास्ता
पूर्व सरकार के एक फैसले के बाद उपप्रधानाचार्य पदों का विलय होने से तृतीय एवं द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के लिए उच्च पदों तक पहुंचना कठिन हो गया था। नई भर्ती व्यवस्था लागू होने पर अनुभवी और प्रतिभाशाली युवा शिक्षकों को डीईईओ व समकक्ष पदों पर आने का अवसर मिलेगा। इससे शिक्षा विभाग में नए विचार, नवाचार और बेहतर प्रबंधन की संभावना बढ़ेगी।
पुरानी व्यवस्था की चुनौतियाँ
पदोन्नति आधारित प्रणाली में कई जिलों में राजनीतिक दबाव, व्यक्तिगत प्रभाव और सीमित कार्यकाल जैसी समस्याओं के कारण डीईईओ स्तर पर कामकाज प्रभावित रहा।
अक्सर अधिकारी सेवानिवृत्ति के कुछ ही माह पहले पदोन्नत होकर इन पदों पर पहुंचते थे, जिसके कारण दीर्घकालिक योजनाएं ठप पड़ जाती थीं।
कुछ जिलों में तो स्थिति इतनी गंभीर रही कि सीडीईओ जैसे पद लंबे समय तक रिक्त रहे, जिससे विभागीय कार्यवाही प्रभावित होती रही।
नई भर्ती से क्या होगा फायदा
सीधी भर्ती के बाद युवा अधिकारियों की नियुक्ति होने पर जिलों में लंबे समय तक स्थिर नेतृत्व मिलेगा।
रिक्तियों की समस्या कम होगी और कार्य प्रबंधन में तेजी आएगी।
नए अधिकारियों के साथ नवाचारों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जुड़े कदमों को भी बेहतर गति मिलेगी।
शिक्षा विभाग और शिक्षक संगठनों की राय
आरएल डामोर, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी
सरकार 50 प्रतिशत पद पदोन्नति और 50 प्रतिशत पद नई भर्ती से भरने की तैयारी कर रही है। इससे विभाग में बेहतर परिणाम आएंगे और योग्य युवाओं को अवसर भी मिलेगा।
डा. ऋषिन चौबीसा, प्रदेश उपाध्यक्ष, शिक्षक संघ (राष्ट्रीय)
यह पहल माध्यमिक शिक्षा को नई दिशा देगी। भर्ती में 5 वर्ष से अधिक अनुभव वाले तृतीय, द्वितीय श्रेणी शिक्षकों, व्याख्याताओं और प्रिंसिपलों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि विभाग को अनुभवी नेतृत्व मिल सके।
