राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर एक महत्वपूर्ण राहतभरी घोषणा सामने आई है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिन स्वायत्त संस्थाओं, बोर्डों, निगमों और विश्वविद्यालयों में 31 अक्टूबर 2023 तक ओपीएस लागू की जा चुकी है, वहां यह व्यवस्था भविष्य में भी जारी रहेगी। यह निर्णय कर्मचारियों द्वारा लगातार उठाई जा रही शंकाओं और विरोध के बाद लिया गया है।
सरकार ने जारी किया नया स्पष्टीकरण
वित्त विभाग ने 9 अक्टूबर 2025 के आदेश से पैदा हुई भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए नया निर्देश जारी किया है। आदेश के अनुसार जिन संस्थानों में ओपीएस पहले से लागू है, वहां इसे वापस नहीं लिया जाएगा। वहीं जिन संस्थानों में कर्मचारियों से विकल्प पत्र भरवाकर राशि जमा करवाई गई है, वहां भी आर्थिक स्थिति सुधरने पर ओपीएस के लाभ दिए जा सकेंगे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आर्थिक रूप से कमजोर संस्थाओं को एनपीएस लागू करने की छूट रहेगी। हालांकि ओपीएस के लिए वित्तीय सहायता राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध नहीं कराई जाएगी और सभी स्वायत्त संस्थानों को अपने स्तर पर ही संसाधन जुटाने होंगे।
कर्मचारी संगठनों ने जताई थी आपत्ति
अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि वित्तीय स्थिति का हवाला देकर ओपीएस पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही थी, जिसके विरोध में कर्मचारियों ने आंदोलन छेड़ा था। उनके अनुसार सरकार का यह स्पष्टीकरण कर्मचारियों की चिंताओं को आंशिक रूप से दूर करता है।
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दूसरी ओर पेंशनर्स महासंघ के प्रवक्ता नारायण सिंह का कहना है कि नया आदेश भी स्थिति को पूरी तरह स्पष्ट नहीं करता। उनका तर्क है कि वित्तीय तंगी का हवाला देकर संस्थाएं अब भी ओपीएस से पीछे हट सकती हैं, जिससे कर्मचारी असमंजस में रहेंगे।
किन परिस्थितियों में लागू हो सकती है एनपीएस
वित्त विभाग के नए निर्देशों में कहा गया है कि जिन संस्थाओं ने ओपीएस के लिए विकल्प पत्र ले लिए हैं और कर्मचारियों से राशि भी जमा कर ली है, लेकिन आर्थिक संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, वे एनपीएस लागू कर सकती हैं। 9 अक्टूबर को जारी दिशा-निर्देश यही बताते थे कि आर्थिक रूप से कमजोर संस्थान एनपीएस का विकल्प चुन सकते हैं।
संस्थाओं पर बढ़ी जिम्मेदारी
इस निर्णय के बाद पूरी तरह अनुदानित संस्थानों को छोड़कर अन्य स्वायत्त निकायों, बोर्डों और निगमों पर पेंशन व्यवस्था के लिए अपने स्तर पर वित्तीय प्रबंधन की जिम्मेदारी बढ़ गई है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ओपीएस को बनाए रखने का फैसला संस्थाओं के संसाधनों पर निर्भर होगा।
