राजस्थान में लागू हुए नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत कोटा में पहला मामला दर्ज किया गया है। बोरखेड़ा थाना पुलिस ने बीरशेबा चर्च में आयोजित एक सत्संग के दौरान लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसाने के आरोप में दिल्ली और कोटा के दो ईसाई मिशनरियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस के अनुसार सत्संग के दौरान धार्मिक उकसावे वाली बातें कहीं गईं और सोशल मीडिया पर इसका सक्रिय प्रसार भी किया गया।
पहला केस दर्ज, नए कानून का पहला परीक्षण
बोरखेड़ा थाना थाना प्रभारी देवेश भारद्वाज ने बताया कि 4 से 6 नवंबर के बीच कैनाल रोड स्थित बीरशेबा चर्च में आयोजित कार्यक्रम को आत्मिक सत्संग का नाम दिया गया था, लेकिन इसी दौरान लोगों को ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया गया। पुलिस को कार्यक्रम के कई वीडियो और सोशल मीडिया लाइव स्ट्रीम के स्क्रीनशॉट मिले हैं, जिनके आधार पर मिशनरी चंडी वर्गीश (दिल्ली निवासी) और अरुण जॉन (कोटा निवासी) पर केस दर्ज किया गया है।
धर्मांतरण के लिए उकसाने के गंभीर आरोप
परिवादी और बजरंग दल प्रांत संयोजक योगेश रेनवाल ने दावा किया कि सत्संग में धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाले वक्तव्य दिए गए। उनका आरोप है कि चंडी वर्गीश कार्यक्रम में यह कहते दिखाई दिए कि राजस्थान जल्द ईसाई धर्म की वृद्धि देखेगा और लोगों को ‘पाप के बंधनों’ से मुक्त किया जाएगा। शिकायत में यह भी कहा गया कि कुछ हिंदू युवकों ने मंच से घोषणा की कि वे बपतिस्मा लेकर ईसाई बन चुके हैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
नया कानून और दर्ज धाराएं
पुलिस ने मामले में बीएनएस 299 के तहत धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया है। साथ ही राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2025 की धारा 3 और 5 के तहत भी प्रकरण पंजीकृत किया गया है। यह नया कानून हाल ही में अधिसूचित किया गया है और कोटा का यह मामला इसका पहला आधिकारिक उपयोग है।
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सोशल मीडिया कंटेंट और प्रतिभागियों से होगी पूछताछ
पुलिस अब कार्यक्रम में शामिल व्यक्तियों, सत्संग के आयोजकों और सोशल मीडिया पर सामग्री साझा करने वालों से पूछताछ कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह संवेदनशील मामला है, इसलिए जांच में तकनीकी साक्ष्यों के साथ-साथ प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी महत्वपूर्ण होंगे।
