राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत कल मणिपुर पहुंच रहे हैं। यह उनका उस राज्य का पहला दौरा है, जबसे मई 2023 में मेतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा के बाद मणिपुर में हालात तनावपूर्ण रहे।
आरएसएस के राज्य महासचिव तरुण कुमार शर्मा ने बताया कि भागवत की यह यात्रा तीन दिन की होगी, जिसमें वे नागरिकों, उद्यमियों और जनजातीय समुदाय के नेताओं से मुलाकात करेंगे। शर्मा ने कहा कि यह दौरा आरएसएस के शताब्दी समारोह के कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है।
भागवत 20 नवंबर को गुवाहाटी से मणिपुर पहुंचेंगे और 22 नवंबर को रवाना होंगे। यात्रा के दौरान उन्होंने अलग-अलग सत्रों में प्रमुख नागरिकों, युवाओं और जनजातीय नेताओं से बातचीत करने का कार्यक्रम रखा है।
यात्रा कार्यक्रम की मुख्य जानकारी
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पहला दिन (20 नवंबर): इंफाल के कोन्जेंग लाइकाई में उद्यमियों और प्रमुख नागरिकों से मुलाकात।
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दूसरा दिन (21 नवंबर): मणिपुर की पहाड़ियों में जनजातीय नेताओं के साथ बातचीत।
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तीसरा दिन (22 नवंबर): यात्रा समाप्त और रवाना।
एक आरएसएस पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि इस दौरे में विस्थापित लोगों के राहत शिविरों का दौरा फिलहाल कार्यक्रम में शामिल नहीं है। यह यात्रा मुख्य रूप से संगठन के आंतरिक कार्यक्रम और बातचीत के सत्रों पर केंद्रित है।
पृष्ठभूमि: मणिपुर की जातीय हिंसा
मई 2023 में मणिपुर में मेतेई और कुकी समूहों के बीच हुई हिंसा में 260 से अधिक लोगों की मौत हुई और हजारों लोग विस्थापित हुए। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद केंद्र ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया था। राज्य विधानसभा को निलंबित कर 2027 तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
भागवत का यह दौरा मणिपुर में लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण हालात के बीच महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके इस दौरे से संगठन और स्थानीय नेतृत्व के बीच संवाद को मजबूती मिलेगी।
