दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट से जुड़े आर्थिक पहलुओं की जांच में प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार देर रात एक अहम कदम उठाया। एजेंसी ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें 13 दिन की हिरासत में भेजने की मांग की, जिसे दिल्ली की अदालत ने रात लगभग 12 बजे मंजूरी दे दी। आदेश एडिशनल सेशंस जज शीतल चौधरी प्रधान ने अपने कैंप ऑफिस से जारी किया, जिसे ईडी की चल रही जांच की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ईडी को मिले बड़े वित्तीय अनियमितताओं के संकेत
एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि सिद्दीकी को 18 नवंबर की रात पीएमएलए की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया। ईडी के अनुसार उनके पास से मिले वित्तीय लेनदेन संबंधी दस्तावेज यह दर्शाते हैं कि कई वर्षों से जटिल तरीके से तैयार किए गए रिकॉर्डों के जरिए बड़े स्तर पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
कोर्ट ने माना कि प्रारंभिक स्तर पर ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने अपराध से अर्जित धन को छिपाने और उसे वैध दिखाने के उद्देश्य से कई परतों वाले लेनदेन किए।
मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप और जांच की आवश्यकता
अदालत ने कहा कि मामला अभी शुरुआती चरण में है और कई महत्वपूर्ण कड़ियां सामने आना बाकी हैं। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि यदि इस चरण में हिरासत न दी गई, तो आरोपी गवाहों को प्रभावित करने, सबूत मिटाने या आरोपित संपत्तियों को हटाने का प्रयास कर सकता है। इसी कारण ईडी को 13 दिनों की हिरासत उचित बताई गई।
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मान्यता के नाम पर छात्रों से की गई कथित धोखाधड़ी
ईडी ने दावा किया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके संबद्ध संस्थानों ने वर्षों तक मान्यता को लेकर गलत सूचनाएं देकर छात्रों को भ्रमित किया। वित्तीय विश्लेषण से पता चला कि 2018-19 से लेकर 2024-25 के बीच संस्थानों ने लगभग 415.10 करोड़ रुपये शैक्षणिक प्राप्तियों के रूप में जुटाए।
एजेंसी के अनुसार यह पूरा धन संदेहास्पद है, क्योंकि उसी अवधि में यूनिवर्सिटी की मान्यता और कानूनी स्थिति को लेकर लगातार भ्रम फैलाया गया। ईडी का मानना है कि छात्रों से ली गई फीस धोखाधड़ी और जालसाजी के जरिए हासिल की गई राशि है।
फर्जी दस्तावेज और जाली मान्यताओं के आरोप
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि यूनिवर्सिटी ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज, जाली प्रमाणपत्र और गलत बयानों का उपयोग कर बड़े पैमाने पर नामांकन किए। ईडी ने कहा कि इन गतिविधियों से प्राप्त फीस को अपराध से जुड़ी आय माना जा सकता है और यह मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत दंडनीय है। अदालत ने भी माना कि एजेंसी द्वारा प्रस्तुत सामग्री आरोपों को मजबूत आधार देती है।
अब ईडी की पूछताछ से खुल सकते हैं नए पहलू
ईडी अब सिद्दीकी से उन नेटवर्कों और व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाने पर ध्यान देगी, जो कथित वित्तीय अनियमितताओं या ब्लास्ट मामले से जुड़े फंड प्रवाह में शामिल हो सकते हैं। साथ ही एजेंसी उन संपत्तियों और निवेशों की भी जांच करेगी, जिन पर संदेह है कि वे अपराध से अर्जित धन से जुड़े हैं।
देर रात की यह न्यायिक कार्रवाई ब्लास्ट केस और उससे जुड़े वित्तीय अनुशासनहीनता की जांच को नई दिशा देती है। ईडी की हिरासत के दौरान कई नए खुलासे होने की संभावना है, जो पूरे मामले की साजिश और वित्तीय तंत्र को समझने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
