राजस्थान में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर महीनों से चल रहे असमंजस पर अब हाईकोर्ट ने स्पष्टता ला दी है। शुक्रवार को अदालत ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए राज्य सरकार को तय समय सीमा के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश जारी किए। यह फैसला उन करीब 450 याचिकाओं पर आया है, जिनमें पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन संबंधी मुद्दों को उठाया गया था। इन याचिकाओं पर सुनवाई 12 अगस्त को पूरी कर ली गई थी और फैसला सुरक्षित रखा गया था।
15 अप्रैल 2026 तक पूरी करें चुनाव प्रक्रिया: कोर्ट
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय प्रकाश शर्मा की खंडपीठ ने आदेश दिया कि पंचायत और शहरी निकाय दोनों के चुनावों की संपूर्ण प्रक्रिया 15 अप्रैल 2026 तक हर हाल में पूरी की जाए। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि चुनावों में देरी किसी भी रूप में स्वीकार नहीं की जाएगी, क्योंकि स्थानीय शासन की कार्यप्रणाली इसी प्रक्रिया पर निर्भर करती है।
परिसीमन 31 दिसंबर तक हर हाल में पूरा करें
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी जिलों में परिसीमन की प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक पूरी कर ली जाए। कोर्ट का कहना है कि परिसीमन में और देरी हुई तो चुनाव समय पर कराना मुश्किल होगा, इसलिए प्रशासन को इसे प्राथमिकता के साथ निपटाना होगा।
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि परिसीमन कार्यवाही को आगे चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जाएगी, ताकि चुनाव प्रक्रिया बाधित न हो।
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चुनाव में देरी पर कोर्ट की नाराजगी
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पंचायतों और नगरीय निकायों के चुनाव समय पर होना लोकतांत्रिक व्यवस्था की अनिवार्यता है। देरी न केवल प्रशासनिक कामकाज प्रभावित करती है बल्कि स्थानीय स्तर पर जवाबदेही भी कम होती है।
मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने दी थी देरी की वजह
इससे पहले स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया था कि नई मतदाता सूची तैयार करने का कार्य चल रहा है और फरवरी तक पूरा होने की संभावना है। पुराने मतदाता डेटा पर चुनाव कराना विधिक दृष्टि से संभव नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि फरवरी के बाद स्कूल और कॉलेज परीक्षा मोड में होंगे, और चुनावी स्टाफ का बड़ा हिस्सा शिक्षा विभाग से मिलता है। इसलिए परीक्षा अवधि में चुनाव कराना संभव नहीं रहेगा। मंत्री ने संकेत दिया था कि परिस्थितियों को देखते हुए नगरीय निकाय चुनाव मई 2026 से पहले कराना मुश्किल है।
अदालत के निर्देशों से चुनावी तैयारियां तेज होंगी
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य सरकार और संबंधित विभागों पर चुनाव की तैयारियों को तेज करने का दबाव बढ़ गया है। परिसीमन, मतदाता सूची अद्यतन और प्रशासनिक व्यवस्था को समय पर पूरा करना अब सरकार की प्राथमिकता बन गया है।
