बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों ने राजनीति की दिशा बदल दी है। शुरुआती वोटों की गिनती से ही स्पष्ट हो गया कि इस बार एनडीए गठबंधन प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ रहा है। दूसरी ओर, राजद के नेतृत्व वाला महागठबंधन बड़ी मुश्किलों में दिखाई दिया। मतदाताओं ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसा जताया है।
एनडीए की आंधी में महागठबंधन का सारा समीकरण ढहा
गिनती के पहले कुछ घंटों से ही यह साफ हो गया कि एनडीए ने इस चुनाव में मुकाबला एकतरफा बना दिया है। बीजेपी और जेडीयू दोनों ने संयुक्त रूप से 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त दर्ज कर ली, जबकि महागठबंधन दोहरे अंक में संघर्ष कर रहा था। आरजेडी की सीटें अपेक्षा से काफी कम दिखीं और कांग्रेस तो बेहद खराब प्रदर्शन करती नजर आई।
पीएम मोदी की पहली प्रतिक्रिया: इसे जनता के विश्वास की जीत बताया
रुझानों ने जैसे ही एनडीए की बड़ी जीत का संकेत दिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की। उन्होंने लिखा कि बिहार की जनता ने सुशासन, विकास और सामाजिक न्याय के पक्ष में दृढ़ता से अपना जनमत दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनादेश बिहार को नई गति और नई ऊर्जा प्रदान करेगा। उन्होंने एनडीए के सभी कार्यकर्ताओं की मेहनत की सराहना की, जिन्होंने गांव-गांव में जाकर विकास के एजेंडे को लोगों तक पहुंचाया और विपक्ष के आरोपों का तथ्यात्मक जवाब दिया।
अपने संदेश में उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में बिहार के बुनियादी ढांचे, महिलाओं और युवाओं के लिए नए अवसर, और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
अमित शाह ने परिणाम को ‘विकसित बिहार’ की सोच की जीत बताया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी नतीजों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जीत उन सभी बिहारवासियों की है जो विकसित राज्य की दिशा में विश्वास रखते हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने इस बार यह संदेश दिया है कि जंगलराज और तुष्टीकरण की राजनीति अब राज्य में स्वीकार्य नहीं है।
अमित शाह ने आगे कहा कि हर वोट ने यह सिद्ध किया कि घुसपैठ, सुरक्षा और वोटर-लिस्ट शुद्धिकरण जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार की नीतियों को जनता पूरा समर्थन दे रही है।
कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की राजनीति अब बिहार में लगभग अप्रासंगिक हो चुकी है।
- Advertisement -
महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ीं
आरजेडी को इस चुनाव में बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन मतदान और रुझानों दोनों ने उसकी रणनीति को झटका दिया। कांग्रेस लगभग हाशिये पर पहुंच गई, वहीं लोजपा रामविलास को भी सीमित सफलता मिली।
विश्लेषकों के अनुसार, एनडीए की स्थिर छवि, पीएम मोदी के प्रचार और जमीनी स्तर पर किए गए सामाजिक अभियानों ने महागठबंधन को पीछे धकेल दिया।
