बीकानेर की गोचर भूमि पर विधायक जेठानंद व्यास सक्रिय, मुख्यमंत्री कार्यालय ने दिया निर्देश
जयपुर/बीकानेर। बीकानेर पश्चिम विधायक जेठानंद व्यास ने सोमवार को मुख्यमंत्री के विशिष्ट सचिव संदेश नायक से जयपुर में मुलाकात कर गोचर भूमि (चरागाह भूमि) से संबंधित विवाद और विकास प्राधिकरण की ओर से जारी प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की।
व्यास ने मुख्यमंत्री कार्यालय को बताया कि बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) द्वारा मास्टर प्लान में गोचर भूमि के अधिग्रहण को लेकर स्थानीय जनता में गहरी नाराजगी है। उन्होंने कहा कि गोचर भूमि बीकानेर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण का अभिन्न हिस्सा है, जिसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग में लाना उचित नहीं है।
मुख्यमंत्री ने दिए थे कार्रवाई के निर्देश
विधायक व्यास ने बताया कि उन्होंने हाल ही में इस विषय पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने इस मामले में गहराई से जांच और आवश्यक कार्रवाई के लिए आईएएस अधिकारी संदेश नायक को निर्देशित किया था।
इसके बाद सोमवार को विधायक व्यास ने नायक से व्यक्तिगत रूप से भेंट की और गोचर भूमि से संबंधित सभी दस्तावेज, नक्शे और बीडीए के प्रस्ताव उनके समक्ष प्रस्तुत किए।
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गोचर भूमि पर कोई कार्रवाई नहीं होगी: मुख्यमंत्री कार्यालय
बैठक के दौरान विशिष्ट सचिव संदेश नायक ने बीकानेर विकास प्राधिकरण आयुक्त को दूरभाष पर स्पष्ट निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री कार्यालय से नए आदेश जारी होने तक गोचर भूमि का किसी भी प्रकार का उपयोग या अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
नायक ने विधायक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों और मास्टर प्लान के प्रस्तावों का गहन अवलोकन किया और कहा कि इस मामले में जनभावना का सम्मान सर्वोपरि रहेगा।
“जनभावना के अनुरूप निर्णय की अपेक्षा” – विधायक व्यास
विधायक जेठानंद व्यास ने कहा कि बीकानेर की जनता गोचर भूमि को अपनी साझा धरोहर मानती है और उसका संरक्षण शहर के भविष्य से जुड़ा विषय है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य किसी विकास कार्य का विरोध नहीं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है। उम्मीद है कि सरकार जनभावना को समझते हुए उचित निर्णय लेगी।”
बीकानेर में क्यों विवादित है गोचर भूमि का मुद्दा
बीकानेर में गोचर भूमि को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। विकास प्राधिकरण द्वारा मास्टर प्लान के अंतर्गत इस भूमि को शहरी उपयोग में लाने की योजना का स्थानीय संगठनों और ग्रामीणों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि यह भूमि मवेशियों के चरने और पर्यावरणीय संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
आगे की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि बीकानेर विकास प्राधिकरण को गोचर भूमि से संबंधित योजनाओं पर फिलहाल रोक लगानी होगी। संबंधित विभागों को इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
