*भोपाल पुलिस ने चेताया – साइबर ठगों की नई चाल से सतर्क रहें, न करें 21# डायल
मध्य प्रदेश में साइबर ठगी का एक नया और खतरनाक तरीका सामने आया है। भोपाल की साइबर क्राइम ब्रांच और क्राइम ब्रांच पुलिस ने जनता को अलर्ट जारी करते हुए बताया कि अब ठग मोबाइल कॉल और मैसेज को अपने नंबर पर फॉरवर्ड कर लोगों के बैंक खातों और सोशल मीडिया तक पहुंच बना रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार, यह ठगी का नया पैटर्न कॉल फॉरवर्डिंग कोड्स और नेटवर्क कमांड्स से जुड़ा हुआ है, जिसमें लापरवाही से पूरा डिजिटल डेटा खतरे में पड़ सकता है।
कैसे करते हैं ठग वारदात
साइबर अपराधी खुद को बैंक, मोबाइल कंपनी या सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर कॉल करते हैं। वे पीड़ित को विश्वास में लेकर कहते हैं कि “आपका सिम बंद हो जाएगा” या “नेटवर्क दिक्कत ठीक करनी है” — इसके लिए उन्हें मोबाइल से *21*(मोबाइल नंबर)# कोड डायल करने को कहा जाता है।
जैसे ही व्यक्ति यह कोड डायल करता है, उसके फोन पर आने वाले सभी कॉल और एसएमएस ठग के नंबर पर फॉरवर्ड हो जाते हैं।
इसके बाद ठगों को बैंक का ओटीपी, अकाउंट अलर्ट और वेरिफिकेशन कोड सीधे अपने मोबाइल पर मिलने लगते हैं। इन जानकारियों का उपयोग करके वे पीड़ित का बैंक अकाउंट, मोबाइल वॉलेट और व्हाट्सऐप अकाउंट तक एक्सेस कर लेते हैं।
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पुलिस की चेतावनी और सलाह
भोपाल के एडिशनल डीसीपी साइबर एंड क्राइम ब्रांच शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि यह नया फ्रॉड पैटर्न बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा —
“कोई भी अज्ञात कॉल या व्यक्ति यदि किसी कोड को डायल करने को कहे तो तुरंत कॉल काट दें और नंबर ब्लॉक करें। बैंक या कोई भी वैध संस्था कभी इस तरह का कोड बताने को नहीं कहती।”
साइबर पुलिस की एडवाइजरी
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किसी अनजान व्यक्ति के कहने पर
*21#या कोई अन्य कोड कभी डायल न करें। -
बैंक, ओटीपी या मोबाइल से जुड़ी निजी जानकारी किसी से साझा न करें।
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किसी संदिग्ध कॉल या मैसेज की तुरंत शिकायत करें या ब्लॉक करें।
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अपने मोबाइल की कॉल फॉरवर्डिंग सेटिंग्स नियमित रूप से जांचें।
शिकायत कहां करें
अगर आप किसी साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं या किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी देना चाहते हैं, तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
