बीकानेर: शहर में गोचर भूमि (गायों के चरागाह क्षेत्र) को लेकर जारी विवाद ने अब राजनीतिक रूप ले लिया है। जहां एक ओर गौसेवक संगठन लगातार जनजागरण अभियान चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब कांग्रेस ने भी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है।
बीकानेर शहर कांग्रेस कमेटी ने घोषणा की है कि 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक गोचर भूमि की सुरक्षा और सरकारी दखल के विरोध में एक दिवसीय उपवास आंदोलन किया जाएगा।
कांग्रेस ने सरकार पर लगाया दोहरे रवैये का आरोप
कांग्रेस जिलाध्यक्ष यशपाल गहलोत ने बताया कि इस उपवास में पूर्व मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा,
“गोचर और गाय हमारी आस्था का प्रतीक हैं, लेकिन भाजपा सरकार इन दोनों के प्रति दोहरा रवैया अपना रही है। अगर हमारी गांधीवादी चेतावनी के बाद भी सरकार नहीं जागी, तो हम सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेंगे।”
गहलोत ने स्पष्ट कहा कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण और प्रतीकात्मक होगा, लेकिन यह सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश होगा कि जनता अपनी परंपरा और आस्था से जुड़े मुद्दों पर समझौता नहीं करेगी।
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गोचर भूमि पर सरकार के दावे पर उठे सवाल
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीकानेर में जिस भूमि को गोचर के रूप में संरक्षित किया गया था, वह तत्कालीन भामाशाहों और समाजसेवियों द्वारा दान में दी गई थी।
अब उस भूमि पर राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा स्वामित्व का दावा किया जा रहा है, जिससे आम नागरिकों और गौसेवकों में गहरा आक्रोश है।
गहलोत ने कहा,
“हम सरकार से यह सवाल पूछेंगे कि जिस जमीन को समाज ने स्वयं खरीदा और गोचर हेतु समर्पित किया, उस पर प्रशासन किस आधार पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।”
गौसेवकों में बढ़ता असंतोष
बीकानेर के कई सामाजिक संगठन और गौसेवक पिछले कई दिनों से ‘गोचर बचाओ अभियान’ चला रहे हैं।
इस अभियान के तहत रैली, जनसंवाद और जागरूकता सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
कांग्रेस ने अब इन संगठनों को समर्थन देने का ऐलान किया है, जिससे आंदोलन को राजनीतिक बल मिलने की संभावना है।
प्रशासन को चेतावनी
कांग्रेस ने कहा कि 30 अक्टूबर को होने वाला उपवास केवल पहला चरण है।
अगर प्रशासन ने गोचर भूमि से संबंधित फैसलों को वापस नहीं लिया, तो आंदोलन को राज्यस्तरीय स्तर तक बढ़ाया जाएगा।


