दलाली और धोखाधड़ी के बड़े मामले में वांछित हीरा व्यवसायी मेहुल चोकसी की भारत प्रत्यर्पण प्रक्रिया में एक बड़ा मोड़ आ गया है। बेल्जियम के एंटवर्प अपील कोर्ट ने 17 अक्टूबर 2025 को चोकसी के प्रत्यर्पण को मंजूरी देते हुए कहा है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया में कोई कानूनी बाधा नहीं है और भारत द्वारा लगाए गए अपराध बेल्जियम के कानूनों के तहत भी आपराधिक श्रेणी में आते हैं।
हालाँकि, चोकसी के पास अब 15 दिन के भीतर बेल्जियम की सर्वोच्च अदालत में अपील करने का अधिकार है, जिससे भारत लौटने की प्रक्रिया में थोड़ी देरी हो सकती है।
कोर्ट ने क्या पाया?
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कोर्ट ने यह पाया कि चोकसी के खिलाफ भारत द्वारा लगाए गए आरोप — जैसे आपराधिक साजिश (IPC 120‑B), भरोसे का दुरुपयोग (IPC 409), धोखाधड़ी (IPC 420), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएँ — बेल्जियम के कानून के अंतर्गत भी दंडनीय हैं। इसे ‘दोहरी आपराधिकता’ (dual criminality) की शर्त कहा जाता है।
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चोकसी की दलीलों — कि वह राजनीतिक प्रताड़ना का शिकार होंगे, भारत में न्याय नहीं मिलेगा या उन्हें पिछले तरीके से अगवा किया गया था — को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
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एक मामला जिसमें आरोप था कि चोकसी ने साक्ष्य नष्ट किए (IPC 201) — उसे बेल्जियम कानून में अपराध की श्रेणी में नहीं पाया गया, इसलिए उसे प्रत्यर्पण प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया।
भारत‑बेल्जियम बीच प्रत्यर्पण व्यवस्था
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चोकसी को 11 अप्रैल 2025 को एंटवर्प में गिरफ्तार किया गया था, भारत के अनुरोध पर।
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भारत की सरकार ने बेल्जियम को यह आश्वासन दिया था कि प्रत्यर्पित होने पर चोकसी की हिरासत व स्वास्थ्य‑सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा, उदाहरणस्वरूप: मुंबई के आर्थर रोड जेल में बैरक 12 में रखा जाएगा, जहाँ निजी संन्यासी सुविधा व चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
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यह अपराध, जिसे Punjab National Bank (PNB) घोटाले के नाम से जाना जाता है, लगभग ₹13,000 करोड़ के कर्ज धोखाधड़ी का मामला है। चोकसी अकेले इसमें लगभग ₹6,400 करोड़ से जुड़ा हुआ है।
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इस फैसले से भारत के आर्थिक अपराधियों को विदेश भागने से रोकने‑और उन्हें भारत में न्याय के कटघरे में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत मानी जा सकती है।
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साथ ही, यह दावा करता है कि पूंजी‑विलुप्ति एवं वित्तीय अपराध वैश्विक सुनिश्चितता‑सेरेखा के अंतर्गत आज विदेशों में भी अर्जित हो रहे हैं — भारत तथा अन्य देशों में सहकारी प्रक्रियाओं का महत्व बढ़ रहा है।
अब आगे क्या होगा?
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चोकसी की तरफ से बेल्जियम की सर्वोच्च अदालत में 15 दिन के भीतर अपील हो सकती है। यदि अपील खारिज हो जाती है, तो प्रत्यर्पण प्रक्रिया जल्दी आगे बढ़ सकती है।
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भारत को चोकसी की हिरासत‑प्रबंधन व न्यायिक प्रक्रिया पर लगातार बेल्जियम में जारी आश्वासनों को पूरा करना होगा ताकि पुनर्प्रत्यर्पण में कोई बाधा न आए।
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भारत में जांच एजेंसियाँ (जैसे Central Bureau of Investigation‑CBI, Enforcement Directorate‑ED) अब यह सुनिश्चित करेंगी कि न्यायिक‑मुकदमों को प्रभावी रूप से आगे बढ़ाया जाए, ताकि इस मामले में विलंब नहीं हो।