राजस्थान में बढ़ रही साइबर ठगी, पढ़े-लिखे और तकनीकी जानकार भी बन रहे शिकार
जयपुर, 18 अक्टूबर 2025 — राजस्थान में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है, और अब इसका शिकार केवल ग्रामीण या अनपढ़ लोग नहीं, बल्कि शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे, तकनीकी जानकार और पेशेवर लोग भी हो रहे हैं। साइबर ठग हर दिन नई स्क्रिप्ट, नए एप्स और अलग-अलग बहानों के साथ लोगों को जाल में फंसा रहे हैं।
जयपुर से लेकर गांवों तक फैले इन जालसाजों का नेटवर्क इतना मजबूत हो गया है कि पुलिस की लगातार कोशिशों के बावजूद ठगी के मामलों पर अंकुश लगाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
कमजोर साइबर ढांचा: स्टाफ और एक्सपर्ट की भारी कमी
राजस्थान में साइबर अपराध से निपटने के लिए जयपुर में साइबर थाना संचालित है, लेकिन यहां स्टाफ की भारी कमी है। थानों में अभी भी प्रशिक्षित साइबर एक्सपर्ट की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जिसके चलते कई मामलों में शिकायतों की प्रभावी सुनवाई नहीं हो रही।
कुछ जिलों में पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट तैनात कर थानों में प्रशिक्षण देना शुरू किया है, लेकिन वह संख्या बेहद कम है।
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जामताड़ा और मेवात: साइबर ठगों के बड़े अड्डे
साइबर ठगी के मामलों में झारखंड का जामताड़ा और हरियाणा-राजस्थान सीमा पर स्थित मेवात इलाका सबसे अधिक चर्चित है।
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जामताड़ा: यहां के युवाओं ने पिछले कुछ वर्षों में इस अपराध से करोड़ों की संपत्ति खड़ी की।
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मेवात: हाल ही में राजस्थान पुलिस ने यहां से कई ठगों को गिरफ्तार किया है।
इन क्षेत्रों में फर्जी कॉल सेंटर बनाकर युवाओं को ठगी के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये कॉल सेंटर बाकायदा प्रोफेशनल ऑफिस की तरह संचालित होते हैं, जहां युवाओं को सैलरी पर रखा जाता है और प्रतिदिन 50 से अधिक लोगों को कॉल करने का टारगेट दिया जाता है।
कैसे करते हैं ठगी: बैंक अधिकारी बनकर, एटीएम ब्लॉक का झांसा
साइबर ठग खुद को बैंक का अधिकारी, पुलिस या कोर्ट प्रतिनिधि बताकर फोन करते हैं। आमतौर पर ये झूठे बहाने बनाते हैं जैसे:
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आपका ATM बंद हो जाएगा
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आपका KYC अपडेट नहीं है
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आपके खाते पर रोक लगाई जा रही है
इसके बाद वे OTP, पिन, पासवर्ड, एनीडेस्क जैसे ऐप डाउनलोड कराने के बहाने से खातों से पैसे साफ कर देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी और सरकार का रुख
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फर्जी पहचान के उपयोग और न्यायिक संस्थानों की छवि का दुरुपयोग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। केंद्र और राज्य सरकारें अब इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर प्रभावी नीतियों पर काम कर रही हैं।
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि हर जिले में साइबर थाने खोले जाएंगे, और पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी।
जागरूकता की कमी है सबसे बड़ी चुनौती
साइबर ठगी के मामलों में सबसे बड़ी चुनौती है – जनता में जागरूकता की कमी।
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लोग अनजान नंबरों से आई कॉल्स पर तुरंत भरोसा कर लेते हैं
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तकनीकी जानकारी होते हुए भी फर्जी ऐप या लिंक पर क्लिक कर देते हैं
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सोशल मीडिया पर साझा की गई निजी जानकारियों का दुरुपयोग हो रहा है
राज्य पुलिस द्वारा जागरूकता अभियान, सेमिनार, और डिजिटल सेफ्टी वर्कशॉप आयोजित की जा रही हैं, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी है और अभी तक ग्राम स्तर तक प्रभावी रूप से नहीं पहुंची है।