कर्नाटक: मंत्री प्रियांक खड़गे ने RSS गतिविधियों पर प्रतिबंध की मांग की, CM को लिखा पत्र
कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को RSS से जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए।
प्रियांक खड़गे ने अपने पत्र में आग्रह किया है कि सरकारी कर्मचारियों की आरएसएस और इसके सहयोगी संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भागीदारी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि सार्वजनिक पार्कों, मंदिरों और सरकारी स्कूलों या कॉलेजों में इस प्रकार के आयोजनों को अनुमति न दी जाए।
नियमों का हवाला देते हुए दी चेतावनी
खड़गे ने अपने पत्र में कर्नाटक सिविल सेवा (आचरण) नियमावली के नियम 5(1) का उल्लेख करते हुए कहा कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक या सांप्रदायिक संगठन का हिस्सा नहीं हो सकता। इस नियम के तहत, कर्मचारियों को किसी भी राजनीतिक आंदोलन या उससे जुड़ी गतिविधियों से दूर रहना अनिवार्य है।
उन्होंने लिखा कि किसी भी कर्मचारी को न केवल इन संगठनों में भाग लेने से रोका जाना चाहिए, बल्कि उन्हें कोई आर्थिक या नैतिक समर्थन देने से भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
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पहले भी की थी यही मांग, BJP ने उठाए सवाल
यह पहला अवसर नहीं है जब प्रियांक खड़गे ने RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इससे पहले भी उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर सरकारी संपत्तियों पर RSS के कार्यक्रम आयोजित करने पर सवाल उठाए थे।
भाजपा ने इसके जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की एक पुरानी तस्वीर जारी की थी जिसमें वे एक RSS कार्यक्रम में मौजूद नजर आ रहे हैं। भाजपा ने इसे दोहरापन बताया, लेकिन प्रियांक खड़गे ने साफ किया कि वह तस्वीर उस समय की है जब मल्लिकार्जुन खड़गे राज्य के गृह मंत्री थे और वहां कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से गए थे।
आरएसएस के खिलाफ बोलने पर मिली धमकियां
प्रियांक खड़गे ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए दावा किया कि RSS के खिलाफ बोलने पर उन्हें धमकियां और अपशब्द झेलने पड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को ऐसे संगठनों के प्रभाव से मुक्त होकर बोलने का अधिकार है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को निर्देश दिया है कि वे तमिलनाडु मॉडल का अध्ययन कर यह तय करें कि सार्वजनिक स्थानों पर RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है या नहीं।
भाजपा का पलटवार और खुली चुनौती
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने प्रियांक खड़गे की मांग को “राजनीतिक स्टंट” बताया है। वहीं, विपक्ष के नेता आर. अशोक ने चुनौती दी है कि वे स्वयं सार्वजनिक स्थानों पर RSS कार्यक्रम आयोजित करेंगे और सरकार को कार्रवाई करने की चुनौती देंगे।
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर कांग्रेस सार्वजनिक संस्थानों और सरकारी तंत्र को “राजनीतिक तटस्थता” के दायरे में रखना चाहती है, वहीं भाजपा इसे हिंदुत्व पर हमला बता रही है।