जैसलमेर (राजस्थान): दीपावली की छुट्टियों पर जोधपुर की ओर जा रहे यात्रियों के चेहरों की मुस्कान मंगलवार को एक भीषण अग्निकांड में दर्दनाक चीखों में बदल गई। जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक निजी एसी स्लीपर बस में मंगलवार दोपहर थईयात मार्ग पर शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने 20 यात्रियों की जिंदा जलाकर जान ले ली। इस भयावह हादसे में महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल हैं, जबकि 15 अन्य गंभीर रूप से झुलस गए, जिन्हें तत्काल जोधपुर रेफर किया गया है।
आग का गोला बनी चलती बस
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प्रत्यक्षदर्शियों के रोंगटे खड़े कर देने वाले बयानों के अनुसार, यह हादसा दोपहर करीब साढ़े तीन बजे वॉर म्यूजियम के पास हुआ। बस के पिछले हिस्से में अचानक धुआं निकला और देखते ही देखते पूरी लग्जरी बस आग का गोला बन गई। आग इतनी भयानक थी कि लपटों में घिरी बस लगभग 50 मीटर तक दौड़ती रही। अंदर फंसे यात्रियों की “हमें बचा लो!” की चीखें हवा में गूंज रही थीं।
जान बचाने की जद्दोजहद में कई यात्री चलती बस की खिड़कियों से कूद पड़े। राहगीरों और स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डालकर सबसे पहले बचाव कार्य शुरू किया। उन्होंने अपने पास मौजूद साधनों से आग बुझाने की कोशिश की और झुलसे हुए यात्रियों को सहारा दिया।
पुलिस महानिरीक्षक (रेंज) राजेश मीणा ने बताया कि बस बिल्कुल नई थी और उसका रजिस्ट्रेशन 1 अक्टूबर को ही हुआ था। आशंका है कि बैटरी में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, जो ज्वलनशील पर्दों और रेग्जीन की सीटों के कारण भीषण रूप ले गई।
बचाव कार्य में देरी और अव्यवस्था
स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस और प्रशासन के बचाव कार्यों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, हादसे के बाद लगभग 45 से 50 मिनट तक कोई फायर ब्रिगेड मौके पर नहीं पहुंची। मिलिट्री स्टेशन से सेना के जवान, मेडिकल टीम और जेसीबी सबसे पहले मौके पर पहुंचे। आर्मी की जेसीबी की मदद से ही बस का गेट तोड़ा गया और फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की गई।
जीतेंद्र स्वामी और अल्ला बख्शी जैसे प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब तक एंबुलेंस और पुलिस पहुंची, 15-20 लोग बदहवास हालत में सड़क पर तड़प रहे थे। ग्रामीणों ने ही उनके शरीर को कपड़े से लपेटकर एंबुलेंस में लादने में मदद की।
डीएनए से होगी मृतकों की शिनाख्त
हादसे में 20 यात्रियों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकांश के शव बुरी तरह जल चुके हैं। एफएसएल की अतिरिक्त निदेशक डॉ. शालू मलिक ने बताया कि केवल एक मृतक की शिनाख्त जैसलमेर निवासी हुसैन के रूप में हो पाई है। बाकी 19 शव और एक हड्डियों की पोटली को जोधपुर भेज दिया गया है। सभी मृतकों की असली पहचान सुनिश्चित करने के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है।
सरकार का ऐलान और राजनीतिक प्रतिक्रिया
हादसे की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा रात साढ़े आठ बजे घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने घटना को हृदयविदारक बताते हुए प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।
इस बीच, बस की बनावट पर भी सवाल उठे हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि बस संकरी थी, इसमें फायर सेफ्टी उपकरण नहीं थे, और इमरजेंसी गेट केवल पीछे की ओर था, जबकि सुरक्षा मानकों के हिसाब से दोनों ओर होना जरूरी था। कस्तूर सिंह जैसे प्रत्यक्षदर्शियों ने दर्द बयां करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने लोगों को जलते देखा, यह ऐसा दर्द है जो जिंदगीभर नहीं भूल पाएंगे।