बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में अग्निकांड से सबक, 97 कर्मचारियों को दी गई आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग
बीकानेर।
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में हाल ही में हुए भीषण अग्निकांड ने राज्यभर के सरकारी चिकित्सा संस्थानों को सुरक्षा के प्रति सजग कर दिया है। इसी कड़ी में बीकानेर के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सा केंद्र पीबीएम अस्पताल में आपदा प्रबंधन को लेकर विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया।
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था—आपातकालीन स्थितियों, विशेषकर आगजनी, के दौरान रोगियों व स्टाफ की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। इस कार्यक्रम में 92 नर्सिंग ऑफिसर्स और 5 सुरक्षा गार्ड्स समेत कुल 97 स्टाफ सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
ट्रेनिंग में विशेष फोकस: आग लगने की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया
प्रशिक्षण में स्टाफ को अस्पताल में आग लगने की स्थिति में घबराने से बचते हुए त्वरित निर्णय लेना, रोगियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करना, विशेषकर आईसीयू और गंभीर रोगियों की सुरक्षित निकासी पर केंद्रित किया गया।
इसके अलावा कर्मचारियों को बताया गया कि इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट, सिलेंडर लीक या अन्य तकनीकी खतरों की स्थिति में प्राथमिक प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए।
- Advertisement -
प्रमुख विशेषज्ञों और नर्सिंग अधिकारियों की भागीदारी
इस प्रशिक्षण सत्र में आपदा प्रबंधन और मेडिकल इमरजेंसी हैंडलिंग के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले डॉ. गौरीशंकर जोशी, नर्सिंग ऑफिसर मेवा सिंह, और राजेंद्र बिजारणियां सहित अन्य नर्सिंग स्टाफ ने सक्रिय भागीदारी की।
उन्होंने न केवल थ्योरी सेशन में प्रशिक्षण दिया, बल्कि मॉक ड्रिल के ज़रिये भी स्टाफ को वास्तविक परिस्थितियों से जूझने की व्यवहारिक जानकारी दी।
प्रशासन का बयान: हर अस्पताल को चाहिए आपातकालीन तैयारी
पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने इस मौके पर स्पष्ट किया कि अब हर चिकित्सा संस्थान को अपनी आपातकालीन तैयारी दुरुस्त करनी होगी। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में सभी वार्डों, विभागों और ICU इकाइयों में अलग-अलग स्तर पर रिस्क असेसमेंट और सुरक्षा ऑडिट भी कराए जाएंगे।
आगे की योजना
प्रशिक्षण के सफल आयोजन के बाद अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि यह प्रक्रिया एक बार की नहीं है, बल्कि हर तीन महीने में नियमित आपदा प्रबंधन अभ्यास कराए जाएंगे ताकि रियल टाइम में स्टाफ की क्षमता को परखा और सुधारा जा सके।
निष्कर्ष
एसएमएस अस्पताल में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने चिकित्सा प्रणाली को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि आपात स्थिति में प्रतिक्रिया भी अस्पतालों की जिम्मेदारी है।
पीबीएम अस्पताल का यह कदम निश्चित तौर पर राज्य के अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिए प्रेरणा बनेगा।