बीकानेर।
राजस्थान की सियासत में किसानों की बुलंद आवाज और कांग्रेस के प्रभावशाली नेता रामेश्वर डूडी का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अगस्त 2023 से ब्रेन हैमरेज के बाद कोमा में थे। डूडी का निधन बीकानेर स्थित उनके निवास पर हुआ। वे 62 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर 1 बजे जाट बगीची, बीकानेर में किया जाएगा।
गांव से दिल्ली तक: रामेश्वर डूडी का जीवन परिचय
रामेश्वर लाल डूडी का जन्म 1 जुलाई 1963 को बीकानेर जिले की नोखा तहसील के रायसर गांव में हुआ था। एक साधारण किसान परिवार से आने वाले डूडी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की। बीकॉम की पढ़ाई के दौरान वे एनएसयूआई से जुड़े और छात्र आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
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वर्ष 1995 में पंचायत समिति सदस्य चुने गए और प्रधान बने
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इसके बाद जिला प्रमुख, फिर विधायक और सांसद बने
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वर्ष 1999 में बीकानेर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए
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2013 में नोखा से विधायक बने और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई
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2018 में नोखा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे, लेकिन पराजय का सामना करना पड़ा
डूडी कांग्रेस के उन गिने-चुने नेताओं में थे जिन्होंने किसानों के मुद्दों को संसद और विधानसभा दोनों में आवाज दी। उनकी छवि एक जमीनी नेता और आक्रामक वक्ता की रही है।
किसान नेता और उद्यमी
रामेश्वर डूडी केवल राजनेता नहीं, बल्कि किसान और उद्योगों के समर्थक भी थे। वे हमेशा किसानों को यह संदेश देते थे कि खेती को व्यवसायिक दृष्टिकोण से अपनाएं ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके। डूडी ने अपनी पूरी राजनीतिक यात्रा में ग्रामीण और किसान हितों को प्राथमिकता दी।
परिवारिक पृष्ठभूमि
रामेश्वर डूडी की पत्नी सुशीला डूडी वर्तमान में नोखा से कांग्रेस विधायक हैं। उनके एक बेटा और दो बेटियां हैं। परिवार का राजनीति में सक्रिय योगदान रहा है, और माना जा रहा है कि सुशीला डूडी उनके अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाएंगी।
बीमारी और अंतिम दिन
अगस्त 2023 में अचानक ब्रेन हैमरेज के बाद रामेश्वर डूडी को जयपुर और फिर दिल्ली ले जाया गया। दिल्ली में कई महीनों तक इलाज के बाद भी जब स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें बीकानेर लाया गया। वहां वैध मघाराम कॉलोनी स्थित उनके घर पर ICU सुविधा तैयार की गई। शुक्रवार रात करीब 1 बजे उनका निधन हो गया।
राजस्थान की राजनीति को बड़ा नुकसान
डूडी के निधन की खबर से कांग्रेस सहित समूचे राजस्थान में शोक की लहर दौड़ गई।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, कांग्रेस जिलाध्यक्ष बिश्नाराम सियाग, भाजपा नेता श्यामसुंदर पंचारिया, बिहारीलाल बिश्नोई, अशोक भाटी सहित कई नेताओं ने शोक जताया और उन्हें एक मजबूत और जुझारू नेता बताया।
निष्कर्ष
रामेश्वर डूडी का निधन न केवल कांग्रेस बल्कि राजस्थान की किसान राजनीति के लिए एक गंभीर क्षति है। एक नेता जो मिट्टी से जुड़ा, जनभावनाओं को समझने वाला और किसानों की बात सशक्त रूप से उठाने वाला था, वह अब हमारे बीच नहीं रहा। उनका जीवन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे संघर्ष से नेतृत्व तक का सफर तय किया जा सकता है।