30 साल तक फर्जी दस्तावेजों पर रोडवेज में नौकरी करता रहा चालक, अब सेवा से बाहर
जयपुर/झुंझुनूं, 30 सितंबर 2025:
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) में जाली शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर तीन दशक तक नौकरी करने वाले एक चालक को अंततः सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। आरोपी सतवीर सिंह ने 1996 में आठवीं की फर्जी मार्कशीट और ट्रांसफर सर्टिफिकेट के बल पर नौकरी प्राप्त की थी। मामला सामने आने के बाद हुई विभागीय जांच में आरोप सिद्ध होने पर अब उसे तत्काल प्रभाव से सेवा से हटा दिया गया है।
1996 में मिली थी नियुक्ति, अब फर्जीवाड़े का हुआ पर्दाफाश
राजस्थान रोडवेज के रिकॉर्ड के अनुसार, आरोपी सतवीर सिंह पुत्र रामूराम को 28 अक्टूबर 1996 को चालक पद पर नियुक्त किया गया था। जॉइनिंग के समय उसने झुंझुनूं के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, सौंथली की आठवीं कक्षा की मार्कशीट और ट्रांसफर सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए।
2023 में हुई शिकायत, जांच में फर्जीवाड़ा उजागर
वर्ष 2023 में आरोपी के दस्तावेजों की सत्यता पर सवाल उठाते हुए शिकायत दर्ज कराई गई। जयपुर आगार के मुख्य प्रबंधक के निर्देश पर सेवानिवृत्त आरएएस अधिकारी हनुमान सिंह गुर्जर को जांच सौंपी गई। जांच में सामने आया कि सतवीर सिंह ने जिन दस्तावेजों का उपयोग किया था, वे कूटरचित और जाली थे।
ट्रांसफर सर्टिफिकेट में एसआर नंबर 1071 पर दर्ज प्रभाती लाल शर्मा का नाम पाया गया, जबकि सतवीर सिंह का नाम रिकॉर्ड में कहीं नहीं मिला।
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कोर्ट से लिया स्टे, लेकिन अंत में हुआ खारिज
जांच की आहट मिलने पर सतवीर सिंह ने कोर्ट से स्टे ऑर्डर ले लिया था, लेकिन 20 सितंबर 2025 को हाईकोर्ट ने स्टे रद्द कर दिया। इसके बाद रोडवेज प्रशासन ने आरोपी को नोटिस भेजा और सुनवाई का अवसर भी दिया, पर आरोपी न तो नोटिस स्वीकारने आया, न ही व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुआ।
बर्खास्तगी के आदेश हुए जारी
जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यकारी निदेशक प्रशासन एवं अनुशासनिक अधिकारी चांदमल वर्मा ने 29 सितंबर 2025 को आदेश जारी कर सतवीर सिंह को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम कर्मचारी स्थाई आदेश 1965 की धारा 36-8 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त कर दिया।
प्रशासन के अनुसार, चूंकि नौकरी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त की गई थी, इसलिए सेवा की शुरुआत से ही यह शून्य मानी जाएगी।