राजस्थान कबीर यात्रा को मिली न्यायिक मंजूरी, 1 से 5 अक्टूबर तक होंगे आयोजन
बीकानेर, 30 सितंबर 2025:
राजस्थान की लोक संस्कृति और संत परंपरा को समर्पित बहुचर्चित राजस्थान कबीर यात्रा को लेकर आज बीकानेर जिला न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने इस आयोजन पर रोक की मांग को खारिज करते हुए 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक यात्रा के संचालन को हरी झंडी दे दी है।
लोकायन संस्थान और मलंग फोक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस यात्रा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला न्यायाधीश अतुल कुमार सक्सेना ने कहा कि यह आयोजन राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत, लोक कलाकारों और संत परंपरा के संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक है।
न्यायालय ने दिया आयोजन जारी रखने का आदेश
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। न्यायाधीश ने आदेश में स्पष्ट किया कि आयोजन पर रोक लगाना राज्य की लोकधरोहर, सामाजिक समरसता और रचनात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ होगा।
उन्होंने कहा,
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“कबीर यात्रा न केवल एक धार्मिक या सामाजिक आयोजन है, बल्कि यह लोक संस्कृति, विचारधारा और ग्रामीण रचनात्मकता का प्रतिबिंब है। इसे रोकना उचित नहीं होगा।”
यात्रा होगी बीकानेर, कलासर, छतरगढ़, कालू और कतरियासर में
न्यायालय के आदेशानुसार, 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर 2025 तक यात्रा के कार्यक्रम यथावत रहेंगे। ये कार्यक्रम बीकानेर, कलासर, छतरगढ़, कालू और कतरियासर जैसे स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे।
इन स्थलों पर कबीर के विचारों पर आधारित भजन, सत्संग, संवाद और लोक संगीत के सत्र आयोजित होंगे, जिसमें देशभर के कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और चिंतक भाग लेंगे।
निदेशक ने जताई प्रसन्नता
कबीर यात्रा के निदेशक गोपाल सिंह चौहान ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि यह निर्णय केवल आयोजकों की जीत नहीं, बल्कि राजस्थान की मिट्टी और लोक चेतना की जीत है। उन्होंने कहा,
“यह फैसला उस आवाज़ को मान्यता देता है जो समाज को जोड़ती है, तोड़ती नहीं।”
कबीर यात्रा क्यों है विशेष?
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धार्मिक सहिष्णुता, प्रेम और समरसता का संदेश देती है।
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लोक कलाकारों को मंच और सम्मान दिलाती है।
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ग्रामीण युवाओं को सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ती है।
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लोकगीत, कविता और संवाद के ज़रिए सामाजिक मुद्दों को उठाती है।


