गिरदावरी में तकनीकी अड़चनें, भाजपा जिलाध्यक्ष पंचारिया ने की ऑफलाइन प्रक्रिया की मांग, कलेक्टर ने भेजी राज्य को रिपोर्ट
बीकानेर | किसानों को हो रही बढ़ती समस्याओं को देखते हुए भाजपा बीकानेर देहात जिलाध्यक्ष श्याम सुन्दर पंचारिया ने गिरदावरी प्रक्रिया को ऑफलाइन करने की मांग की है। पंचारिया ने रविवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, आईएएस संदेश नायक और जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णी से इस विषय में मोबाइल पर चर्चा कर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
उन्होंने कहा कि तकनीकी गड़बड़ियों के कारण ऑनलाइन गिरदावरी में किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जो कि उनकी आर्थिक स्थिति और खेती से जुड़ी योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
🔍 गिरदावरी क्यों है महत्वपूर्ण?
गिरदावरी वह प्रक्रिया है जिसमें खेतों की स्थिति, फसल का प्रकार और उत्पादन का आकलन किया जाता है। इससे जुड़ी होती हैं:
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फसल बीमा योजनाएं
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कृषि अनुदान व सब्सिडी
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आपदा राहत मुआवजा
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सरकारी सहायता योजनाओं की पात्रता
यदि समय पर और सटीक गिरदावरी नहीं हो पाती, तो किसान इन योजनाओं के लाभ से वंचित हो सकते हैं।
📲 नेटवर्क और तकनीकी बाधाएं बनीं समस्या
जिलाध्यक्ष पंचारिया ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट नेटवर्क की कमी, गूगल मैप पर ओवरलेपिंग, और खसरा मिलान में त्रुटियां मुख्य समस्याएं हैं। इन कारणों से किसान अपने खेत की सही जानकारी दर्ज नहीं करवा पा रहे।
उन्होंने कहा, “मैं खुद किसान का बेटा हूं, किसानों की तकलीफों को महसूस करता हूं। प्रशासन को चाहिए कि तकनीकी प्रणाली की जगह, अस्थाई रूप से ऑफलाइन व्यवस्था लागू की जाए ताकि किसानों को राहत मिल सके।”
🗣️ प्रशासन का आश्वासन
जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए बताया कि,
“किसानों की समस्याओं पर कार्रवाई करते हुए हमने राज्य सरकार को अनुरोध भेज दिया है। हम जल्द से जल्द कोई व्यावहारिक समाधान निकालने के प्रयास में हैं, ताकि किसानों को समय पर लाभ मिल सके।”
✅ समाधान की दिशा में उम्मीद
भाजपा जिलाध्यक्ष की पहल और प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही राजस्थान सरकार की ओर से गिरदावरी प्रक्रिया में राहत देने वाला निर्णय लिया जाएगा। यदि ऑफलाइन प्रक्रिया को अस्थाई रूप से मंजूरी मिलती है, तो लाखों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।


