राजस्थान कांग्रेस में असंतोष: डोटासरा के बीकानेर दौरे के तुरंत बाद नितिन वत्सस ने छोड़ा पद
बीकानेर, 29 सितंबर 2025 – राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में रविवार को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आया, जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बीकानेर दौरे के कुछ ही समय बाद, जिला संगठन महासचिव नितिन वत्सस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
डोटासरा, बीकानेर में अस्वस्थ चल रहे वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के घर उनका हालचाल जानने पहुंचे थे। लेकिन, इसी दौरे को लेकर पार्टी में अंदरूनी नाराजगी की स्थिति बन गई है।
डूडी से मिलने पहुंचे डोटासरा, लेकिन एक अन्य नेता की अनदेखी बनी कारण
डोटासरा रविवार को बीकानेर पहुंचे और सीधे रामेश्वर डूडी के आवास पर गए। डूडी लंबे समय से कोमा में हैं और घर पर ही वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। डोटासरा ने उनके परिवार से मुलाकात की और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। इस दौरान उनके साथ अन्य कांग्रेस नेता भी मौजूद थे।
लेकिन, डूडी के निवास से कुछ ही दूरी पर रहने वाले पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष जनार्दन कल्ला के घर डोटासरा नहीं पहुंचे, जहां हाल ही में उनकी पत्नी सावित्री देवी का निधन हुआ था।
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इस्तीफे की वजह: भावनात्मक उपेक्षा
डोटासरा की इसी ‘उपेक्षा’ से आहत होकर जिला संगठन महासचिव नितिन वत्सस ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने जिलाध्यक्ष यशपाल गहलोत को लिखे पत्र में कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में शामिल होना चाहिए।
वत्सस ने लिखा:
“जनार्दन कल्ला ने पार्टी के कठिन समय में भी संगठन का झंडा थामे रखा, और उनके परिवार में हाल ही में हुई दुखद घटना को नजरअंदाज करना अस्वीकार्य है। इससे मुझे गहरा मानसिक आघात पहुंचा है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे कांग्रेस पार्टी में एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में योगदान देना जारी रखेंगे, लेकिन संगठनात्मक पद पर रहकर काम नहीं कर सकते।
हरीश चौधरी ने साधा संतुलन
इसी दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी भी बीकानेर पहुंचे। उन्होंने पहले रामेश्वर डूडी से मुलाकात की और फिर जनार्दन कल्ला के निवास जाकर परिवार से मिलकर संवेदना प्रकट की। चौधरी की इस संतुलित राजनीति को कार्यकर्ताओं ने सकारात्मक रूप में लिया है।
कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में बढ़ती दरार?
यह घटनाक्रम सिर्फ एक दौरे या मुलाकात का मामला नहीं है, बल्कि कांग्रेस की भीतरूनी राजनीति में असंतोष का संकेत देता है।
डोटासरा जैसे शीर्ष नेता से अपेक्षा की जाती है कि वे सबको साथ लेकर चलें, विशेषकर ऐसे समय में जब पार्टी को संगठनात्मक रूप से मज़बूत करना प्राथमिकता है।
