राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पूरे किए 100 वर्ष, 2 अक्टूबर से मनाएगा शताब्दी वर्ष समारोह
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने शनिवार, 27 सितंबर 2025 को अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। हालांकि, संघ शताब्दी वर्ष के औपचारिक कार्यक्रमों की शुरुआत 2 अक्टूबर से करेगा। यह दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाएगा, जो संघ के देशी पंचांग (विक्रम संवत) के अनुसार उसका स्थापना दिवस माना जाता है।
संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। उस दिन भी विजयादशमी का पर्व था। इसलिए हर वर्ष संघ अपना स्थापना दिवस अंग्रेजी कैलेंडर के बजाय देशी पंचांग के अनुसार विजयादशमी के दिन मनाता है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे मुख्य अतिथि
शताब्दी वर्ष के अवसर पर नागपुर में आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत इस अवसर पर विशेष उद्बोधन देंगे। इस बार नागपुर में पहली बार तीन पथ संचलनों (स्वयंसेवकों की परेड) का आयोजन किया जाएगा, जो इस ऐतिहासिक वर्ष की भव्यता को दर्शाएंगे।
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देशभर में चलेगा विशेष जनसंपर्क अभियान
शताब्दी वर्ष के तहत संघ पूरे देश में एक व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएगा। इसका उद्देश्य भारत के 6 लाख 35 हजार गांवों तक पहुंचना है। इस अभियान के अंतर्गत, संघ की प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित संकल्प पत्र को देशभर के स्वयंसेवकों तक पहुंचाया जाएगा।
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सभी शाखाओं में पूर्ण गणवेश में अधिकतम संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित होंगे।
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वार्ड एवं सर्किल स्तर पर समाज सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।
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खंड स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकें होंगी।
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समाज के प्रमुख लोगों को जोड़ते हुए जन गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।
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युवाओं को सक्रिय करने के लिए युवा शक्ति जागरण कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
शताब्दी वर्ष में ‘पंच परिवर्तन’ पर विशेष फोकस
शताब्दी समारोहों में पंच परिवर्तन के संदेश को प्रमुखता दी जाएगी। यह संघ की भावी दिशा और समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक माना जा रहा है। इसमें पांच प्रमुख पहलुओं को शामिल किया गया है:
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स्व का बोध – आत्मचिंतन और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का भाव।
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पर्यावरण संरक्षण – प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा।
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सामाजिक समरसता – जाति, वर्ग और क्षेत्रीय भेदभाव से ऊपर उठकर एकजुट समाज की स्थापना।
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कुटुंब प्रबोधन – परिवार संस्था की मजबूती और मूल्य आधारित जीवनशैली का प्रचार।
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नागरिक कर्तव्य – प्रत्येक नागरिक को अपने उत्तरदायित्व का एहसास कराना।
निष्कर्ष
आरएसएस का यह शताब्दी वर्ष संगठन के लिए ही नहीं, बल्कि देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में एक अहम पड़ाव है। इसके जरिए संघ अपने मूल विचारों को आधुनिक संदर्भ में नए आयाम देने का प्रयास करेगा। आने वाला एक वर्ष केवल आयोजनों का नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक सहभागिता और जागरूकता का वर्ष होगा।
