श्रीडूंगरगढ़: मंदिर की रसोई में गैस लीक से लगी आग, कर्मचारी बुरी तरह झुलसा
श्रीडूंगरगढ़ (बीकानेर)।
एक छोटी सी लापरवाही कभी-कभी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। श्रीडूंगरगढ़ कस्बे में गुरुवार सुबह एक मंदिर की रसोई में गैस चूल्हे का बटन चालू रह जाने से गैस लीक हो गई, जिससे आग लग गई और मंदिर कर्मचारी बुरी तरह झुलस गया।
क्या हुआ हादसे में?
जानकारी के अनुसार, मंदिर परिसर में कार्यरत 45 वर्षीय नेमसिंह पुत्र धन्नेसिंह निवासी आड़सर बास, सुबह रसोई में काम कर रहा था। दूध गर्म करने के बाद गैस चूल्हे का बटन बंद नहीं किया गया, जिससे कमरे में गैस फैल गई।
कुछ देर बाद नेमसिंह दोबारा रसोई में आया और गैस चालू करने के लिए लाइटर जलाया, जिससे भभककर आग लग गई। इस आग की चपेट में आकर नेमसिंह का चेहरा, हाथ और पैर बुरी तरह झुलस गए।
घटना के तुरंत बाद नेमसिंह को श्रीडूंगरगढ़ उपजिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे प्राथमिक उपचार के बाद बीकानेर के पीबीएम अस्पताल रेफर कर दिया गया। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
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गैस लीक से आग — क्यों होता है ऐसा?
गैस चूल्हे या सिलेंडर से लीक होने वाली गैस मुख्यतः मीथेन या एलपीजी (LPG) होती है, जो अत्यधिक ज्वलनशील होती है। गैस यदि रसोई में भर जाए और आग का कोई स्रोत जैसे माचिस या लाइटर जलाया जाए, तो विस्फोटक आग लग सकती है।
क्या करें ऐसी दुर्घटना से बचने के लिए?
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हर बार गैस उपयोग के बाद चूल्हा और रेगुलेटर दोनों बंद करें।
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अगर गैस की गंध महसूस हो, तो माचिस या लाइटर बिल्कुल ना जलाएं।
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खिड़की-दरवाजे खोलें और गैस को बाहर निकलने दें।
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रसोई में कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी तुरंत चालू ना करें।
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नियमित रूप से गैस पाइप और रेगुलेटर की जांच करवाएं।
एक लापरवाही, कई जिंदगियां खतरे में
यह घटना एक बार फिर गैस सिलेंडर और चूल्हे के उपयोग में सतर्कता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। मंदिर जैसी सार्वजनिक जगहों पर जहां रसोई का इस्तेमाल कई लोग करते हैं, वहां सुरक्षा मानकों का पालन और भी जरूरी हो जाता है।
