मोदी सरकार का बड़ा कदम: निजी प्लेसमेंट एजेंसियों पर नियंत्रण के लिए नया कानून तैयार
केंद्र सरकार अब रोजगार देने के नाम पर धोखाधड़ी और शोषण के बढ़ते मामलों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। लाखों युवा हर साल रोजगार की तलाश में निजी प्लेसमेंट एजेंसियों का सहारा लेते हैं, लेकिन इन एजेंसियों द्वारा धोखाधड़ी, अवैध वसूली और कर्मचारियों के शोषण की खबरें आम हो गई हैं। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार एक मजबूत और प्रभावी कानून लेकर आ रही है, जिसका मसौदा तैयार कर लिया गया है और हितधारकों से सुझाव लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
नया कानून: क्या होंगे मुख्य प्रावधान?
सरकार के प्रस्तावित प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी रेगुलेशन बिल में कई सख्त और ठोस प्रावधान किए गए हैं, जिनमें प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
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पंजीकरण अनिवार्य: हर निजी प्लेसमेंट एजेंसी को राज्य और केंद्र स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
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डेटा पारदर्शिता: एजेंसियों को नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं की जानकारी, प्लेसमेंट का पूरा विवरण इंटीग्रेटेड करियर सर्विस पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
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उचित शुल्क और पारदर्शिता: भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और सीमित शुल्क सुनिश्चित किया जाएगा।
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विदेशी रोजगार के लिए नियामक मंजूरी: खाड़ी और अन्य देशों में नौकरी दिलाने से पहले जरूरी सरकारी मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।
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केंद्रीय प्लेसमेंट सपोर्ट प्राधिकरण: इस संस्था के जरिए शिकायतों का समाधान और नियमों की निगरानी की जाएगी।
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कड़ा दंड: नियमों का उल्लंघन करने या धोखाधड़ी के मामलों में जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान रहेगा।
शोषण की मौजूदा स्थिति: एक चिंताजनक तस्वीर
देश के कई राज्यों में, विशेष रूप से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान, निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से सरकारी और निजी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को अक्सर न्यूनतम वेतन से कम भुगतान किया जाता है, और उन्हें पीएफ, ईएसआई, बीमा जैसी सुविधाओं से वंचित रखा जाता है।
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मध्यप्रदेश में करीब 4 लाख कर्मचारी सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और संविदा के आधार पर काम कर रहे हैं, जिनकी औसत आय 10 से 15 हजार रुपये है।
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छत्तीसगढ़ में यह संख्या लगभग 1 लाख है।
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राजस्थान में लगभग 2 लाख कर्मचारी ऐसे हैं जो प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत हैं।
खासकर खाड़ी देशों में रोजगार के नाम पर ठगी और युवाओं के फंसने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
कर्मचारी संगठन कर रहे हैं संघर्ष
प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा शोषण झेल रहे कर्मचारी अब संगठित होकर अपनी आवाज उठा रहे हैं:
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छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष संजय एड़े ने बताया कि कर्मचारी कम वेतन, शोषण और नौकरी की अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।
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मध्यप्रदेश के ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक मनोज भार्गव का कहना है कि आउटसोर्स एजेंसियां सेवा नियमों का लगातार उल्लंघन कर रही हैं, और सरकार की ओर से कोई ठोस नीति नहीं बनाई जा रही है, जिससे ठेकेदारों का मनोबल बढ़ा है।
सरकार का लक्ष्य: पारदर्शिता, सुरक्षा और समान अधिकार
इस कानून के माध्यम से केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि रोजगार की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए, युवाओं को उचित वेतन और अधिकार मिले, और रोजगार दिलाने के नाम पर होने वाले धोखाधड़ी, शोषण और अवैध गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।
यदि यह विधेयक संसद में पारित होता है, तो यह न सिर्फ लाखों कर्मचारियों की जिंदगी में सुधार लाएगा, बल्कि रोजगार व्यवस्था को भी अधिक विश्वसनीय और जवाबदेह बनाएगा।
