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H-1B वीज़ा फीस बढ़ने से भारतीय आईटी कंपनियों और शेयर बाजार पर गहरा असर

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editor Published September 21, 2025
Last updated: 2025/09/21 at 7:22 PM
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H-1B वीज़ा फीस में भारी बढ़ोतरी का भारत के आईटी सेक्टर और शेयर बाजार पर प्रभाव

नई दिल्ली – अमेरिका ने हाल ही में H-1B वीज़ा फीस में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिसका सीधा असर भारतीय आईटी कंपनियों, प्रोफेशनल्स और भारतीय शेयर बाजार पर पड़ता दिखाई दे रहा है। H-1B वीज़ा, जो भारतीय टेक प्रोफेशनल्स को अमेरिका में नौकरी करने की अनुमति देता है, अब कंपनियों के लिए कहीं अधिक महंगा सौदा बन गया है।

Contents
H-1B वीज़ा फीस में भारी बढ़ोतरी का भारत के आईटी सेक्टर और शेयर बाजार पर प्रभावक्या बदला है – H-1B वीज़ा फीस में क्या बढ़ोतरी हुई है?भारतीय आईटी कंपनियों पर संभावित असर1. लागत में बढ़ोतरी2. नई भर्तियों में गिरावट3. ऑफशोर डिलीवरी मॉडल को बढ़ावा4. लोकल हायरिंग की ओर झुकावभारतीय स्टॉक मार्केट पर असरअमेरिका की नीति का उद्देश्य क्या है?भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों में नाराजगीअंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का बढ़नाकंपनियों की रणनीति में बड़ा बदलावअमेरिका में भी उठे विरोध के स्वरनिष्कर्ष: भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए चेतावनी का संकेतडिस्क्लेमर (Disclaimer) – पाठकों के लिए महत्वपूर्ण सूचना

हर साल दिए जाने वाले कुल H-1B वीज़ा का लगभग 70% भारतीय नागरिकों को मिलता है। ऐसे में यह बदलाव भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।


क्या बदला है – H-1B वीज़ा फीस में क्या बढ़ोतरी हुई है?

शुल्क का प्रकार पुरानी फीस (लगभग) नई फीस (लगभग)
बेस एप्लीकेशन फीस ₹38,000 ₹64,700+
फ्रॉड प्रिवेंशन फीस ₹8,000 ₹15,000
प्रीमियम प्रोसेसिंग ₹25,000 ₹35,000+

कुल मिलाकर एक वीज़ा पर लागत में ₹25,000 से ₹40,000 तक की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो सकती है।


भारतीय आईटी कंपनियों पर संभावित असर

1. लागत में बढ़ोतरी

TCS, Infosys, Wipro, और HCL जैसी बड़ी आईटी कंपनियों को अब हर कर्मचारी के लिए ज्यादा भुगतान करना होगा। इससे उनकी ऑपरेशनल कॉस्ट में बढ़ोतरी होगी और प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव पड़ेगा।

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2. नई भर्तियों में गिरावट

अधिक लागत के कारण कंपनियां अमेरिका में भेजे जाने वाले पेशेवरों की संख्या सीमित कर सकती हैं, जिससे नई नियुक्तियों में गिरावट संभव है।

3. ऑफशोर डिलीवरी मॉडल को बढ़ावा

कई कंपनियां अब प्रोजेक्ट्स को भारत से डिलीवर करने की रणनीति पर जोर दे रही हैं ताकि H-1B वीज़ा की आवश्यकता कम पड़े।

4. लोकल हायरिंग की ओर झुकाव

TCS और HCL जैसी कंपनियों ने पहले ही संकेत दिए हैं कि वे अमेरिका में लोकल हायरिंग को बढ़ावा देंगी।


भारतीय स्टॉक मार्केट पर असर

  • H-1B वीज़ा फीस बढ़ने की खबर के बाद Nifty IT Index में हल्की गिरावट दर्ज की गई।

  • TCS, Infosys, Tech Mahindra जैसी कंपनियों के शेयरों पर तत्काल असर पड़ा।

  • निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल है क्योंकि यह बदलाव अमेरिका की आगामी चुनावी नीतियों से भी जुड़ा हुआ है।


अमेरिका की नीति का उद्देश्य क्या है?

  • “American Jobs First” नीति के तहत अमेरिका स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता देना चाहता है।

  • वीज़ा प्रणाली में पारदर्शिता और वित्तीय योगदान बढ़ाने की दिशा में भी यह कदम है।


भारतीय प्रोफेशनल्स और छात्रों में नाराजगी

H-1B की तैयारी कर रहे हजारों टेक प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई है। उनका मानना है कि यह सपनों को तोड़ने वाला निर्णय है और इससे अमेरिका में करियर की संभावनाएं सीमित होंगी।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का बढ़ना

  • कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे चीन, वियतनाम और पूर्वी यूरोप जैसे देश अमेरिकी कंपनियों के लिए नए आउटसोर्सिंग विकल्प बन सकते हैं।

  • भारत के लिए यह एक चेतावनी है कि विकल्प अब अमेरिका के पास उपलब्ध हैं।


कंपनियों की रणनीति में बड़ा बदलाव

  • Infosys और TCS जैसे दिग्गजों ने माना है कि अब उन्हें ऑफशोर स्किल डवलपमेंट, लोकल टैलेंट ट्रेनिंग, और नई डिलीवरी रणनीतियों पर ध्यान देना होगा।

  • NASSCOM ने इस कदम को “भारतीय टेक इंडस्ट्री के लिए अवरोधक” बताया है।


अमेरिका में भी उठे विरोध के स्वर

  • कुछ अमेरिकी टेक कंपनियों के सीईओ ने भी इस बढ़ोतरी पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि इससे अमेरिका की इनोवेशन स्पीड और टेक्नोलॉजिकल ग्रोथ को नुकसान हो सकता है।


निष्कर्ष: भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए चेतावनी का संकेत

H-1B वीज़ा फीस में यह बढ़ोतरी भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए केवल एक वित्तीय चुनौती नहीं है, बल्कि यह भविष्य की रणनीति पर भी सवाल उठाती है। कंपनियों को अब अमेरिका पर निर्भरता कम करते हुए, भारत और अन्य देशों में स्किल डेवलपमेंट, ऑफशोरिंग, और नई मार्केट्स की खोज पर जोर देना होगा।

डिस्क्लेमर (Disclaimer) – पाठकों के लिए महत्वपूर्ण सूचना

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इसमें दी गई सभी जानकारी उपलब्ध स्रोतों, विशेषज्ञों की राय, और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों पर आधारित है।

हम यह सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास करते हैं कि प्रस्तुत जानकारी सटीक, अद्यतित और विश्वसनीय हो, फिर भी किसी भी प्रकार की त्रुटि, चूक या बदलाव के लिए हम उत्तरदायी नहीं हैं।

  • यह सामग्री किसी भी निवेश, करियर निर्णय या कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है।

  • पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय से पहले प्रमाणित सलाहकार या विशेषज्ञ से परामर्श लें।

  • इस लेख में प्रयुक्त नाम, संस्थाएं, नीतियाँ आदि समय के साथ बदल सकती हैं, जिनके लिए पाठक स्वयं अद्यतित जानकारी की पुष्टि करें।


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