राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती नियमों में बदलाव से भड़के खिलाड़ी, खेल कोटे में कटौती पर उठे सवाल
जयपुर – राजस्थान पुलिस विभाग द्वारा हाल ही में कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया में किए गए बदलावों को लेकर राज्य भर के खिलाड़ियों में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर विभाग ने कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) को अनिवार्य बना दिया है, वहीं दूसरी ओर नेशनल और जूनियर नेशनल खिलाड़ियों को मिलने वाले बोनस अंकों की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है।
इस फैसले ने सैकड़ों खिलाड़ियों के सपनों को झटका दिया है, जो वर्षों से खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे।
सीईटी अनिवार्यता और बोनस अंकों की समाप्ति से खिलाड़ियों में निराशा
पूर्व व्यवस्था के तहत राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने वाले खिलाड़ियों को कांस्टेबल भर्ती में 17 बोनस अंक, जबकि जूनियर नेशनल खिलाड़ियों को 16 अंक मिलते थे। यह व्यवस्था उन्हें अन्य उम्मीदवारों के मुकाबले बढ़त देती थी। अब, नई नियमावली में इस लाभ को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है।
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पिछले वर्ष स्पोर्ट्स कोटे के तहत 56 पदों पर नियुक्ति होनी थी, लेकिन सीईटी और अन्य बाधाओं के कारण लगभग 95% पद खाली रह गए। इससे यह स्पष्ट होता है कि नई प्रणाली खिलाड़ियों को सिस्टम से बाहर कर रही है, न कि उन्हें अवसर प्रदान कर रही है।
राज्यव्यापी विरोध की तैयारी, 41 जिलों में ज्ञापन देने की योजना
राजस्थान के पूर्व बास्केटबॉल कप्तान दानवीर सिंह भाटी ने इस फैसले को खिलाड़ियों के साथ अन्याय करार देते हुए कहा कि राज्यभर के खिलाड़ी इस नीति के खिलाफ आवाज उठाएंगे। उन्होंने बताया कि शुक्रवार से 41 जिलों के खिलाड़ी जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।
ज्ञापन में यह मांग की जाएगी कि नेशनल स्तर के खिलाड़ियों को भर्ती से बाहर करना खेल कोटे की भावना के खिलाफ है, इसलिए उन्हें कांस्टेबल भर्ती में फिर से शामिल किया जाए। साथ ही, सीईटी की अनिवार्यता को खिलाड़ियों के लिए हटाने की भी मांग की जा रही है।
“खिलाड़ियों को नियमों में उलझाकर मेडल की उम्मीद कैसे?”
पूर्व नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन राजू बॉक्सर ने कहा कि यह बदलाव सिर्फ खिलाड़ियों के भविष्य पर नहीं, बल्कि राज्य की खेल परंपरा पर भी चोट है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार खुद ही खिलाड़ियों को पीछे धकेलेगी तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल कैसे आएंगे?”
वहीं, एक अन्य खिलाड़ी ने सवाल उठाया कि सरकार अगर खेल कोटे को ही समाप्त करने की ओर बढ़ रही है तो यह युवाओं को खेल से विमुख कर देगा।
राजनीतिक स्तर पर भी उठा विरोध, कांग्रेस ने जताया ऐतराज
कांग्रेस के खेल प्रकोष्ठ की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी इस मुद्दे पर विरोध जताया गया। प्रदेशाध्यक्ष अमीन पठान ने कहा कि प्रदेश सरकार खिलाड़ियों के हितों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकार की नीतियां खेल विरोधी हैं और हम हर स्तर पर इस फैसले का विरोध करेंगे।”