अमेरिका में भारतीय इंजीनियर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, नस्लीय भेदभाव की जांच की मांग
सांता क्लारा (कैलिफोर्निया), सितंबर 2025:
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में एक भारतीय इंजीनियर की मौत ने भारतीय समुदाय में चिंता और गुस्से की लहर दौड़ा दी है। 30 वर्षीय मोहम्मद निज़ामुद्दीन, जो मूल रूप से तेलंगाना के महबूबनगर जिले के रहने वाले थे, की 3 सितंबर को अमेरिकी पुलिस द्वारा गोली मारने से मृत्यु हो गई। यह घटना सांता क्लारा स्थित उनके अपार्टमेंट में हुई, जहां वे एक निजी टेक फर्म में काम कर रहे थे।
क्या है पूरा मामला?
स्थानीय पुलिस के मुताबिक, उन्हें निज़ामुद्दीन के अपार्टमेंट से एक “घरेलू हिंसा” की आपात कॉल मिली थी। रिपोर्ट के अनुसार, निज़ामुद्दीन ने कथित तौर पर अपने रूममेट पर चाकू से हमला किया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब निज़ामुद्दीन को चाकू के साथ देखा, तो उन्होंने उसे काबू में लाने की कोशिश की। इसी दौरान हालात बेकाबू हो गए और पुलिस ने उस पर गोलियां चला दीं।
परिवार का दावा कुछ और कहता है
हालांकि, मृतक के परिवार का दावा है कि इस घटना की शुरुआत कुछ और थी। उनके मुताबिक, निज़ामुद्दीन ने ही पुलिस को मदद के लिए फोन किया था क्योंकि वह खुद खतरे में था। परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बिना पूरे हालात को समझे गोली चला दी। उन्होंने यह भी कहा कि निज़ामुद्दीन शांत स्वभाव का व्यक्ति था और उसने कभी हिंसक व्यवहार नहीं किया।
पिछले अनुभवों पर उठे सवाल
निज़ामुद्दीन अमेरिका में पिछले कुछ वर्षों से रह रहे थे और उन्होंने फ्लोरिडा के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया था। उनके परिवार ने खुलासा किया कि उन्होंने अतीत में नस्लीय भेदभाव, वेतन में अनियमितता और नौकरी से जबरन निकाले जाने की शिकायतें की थीं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह घटना एक सुनियोजित नस्लीय पूर्वाग्रह का हिस्सा थी?
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जांच के आदेश, लेकिन भरोसा नहीं
सांता क्लारा काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कार्यालय और स्थानीय पुलिस विभाग ने इस मामले की संयुक्त जांच की घोषणा की है। पुलिस का कहना है कि वे पारदर्शी जांच सुनिश्चित करेंगे और सभी सबूतों की बारीकी से समीक्षा की जा रही है।
लेकिन निज़ामुद्दीन के परिवार और उनके वकीलों को इस जांच की निष्पक्षता पर संदेह है। परिवार ने भारत सरकार और अमेरिकी न्याय विभाग से स्वतंत्र जांच की मांग की है, ताकि असल सच्चाई सामने आ सके।
समुदाय में आक्रोश, सोशल मीडिया पर समर्थन
यह मामला सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है और भारतीय डायस्पोरा में रोष व्याप्त है। कई सामाजिक संगठनों ने इस घटना को “नस्लीय profiling” का उदाहरण बताते हुए अमेरिकी पुलिस के रवैये की आलोचना की है।