प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी भी 75 का आंकड़ा पूरा करने वाले पहले बीजेपी नेता नहीं हैं, लेकिन इन वर्षों में यह उम्र पार्टी के अंदर एक प्रकार की ‘अनौपचारिक सीमा’ बनती जा रही है। 17 सितंबर 2025 को मोदी का 75वाँ जन्मदिन है और कई ऐसे वरिष्ठ नेता हैं, जिनका राजनीतिक करियर इस उम्र के आसपास काफी हद तक हाशिए पर चला गया है।
नीचे कुछ नाम हैं और वो कैसे प्रभावित हुए:
“75 की उम्र” और बीजेपी में इसका असर
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2014 में जब मोदी सरकार बनी, पार्टी ने कई बड़े नेताओं को कैबिनेट या सक्रिय भूमिका से बाहर रखना शुरू कर दिया जो 75 से ऊपर थे।
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उदाहरण के लिए, एल. के. आडवाणी, मुरली मोहन जोशी, नजमा हेप्टुल्ला, कालराज मिश्रा, सुमित्रा महाजन, यशवंत सिन्हा आदि ऐसे नेता हैं जिनके राजनीतिक प्रभाव या सक्रियता इस सीमा के आसपास कम हुई।
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पार्टी हाई कमान का भी रुझान है कि 75 वर्ष की आयु पार करने वाले नेताओं को संगठनात्मक पदों या चुनावी भूमिकाओं से दूर रखने की नीति बनी हुई है। हालांकि, इसे कभी भी पार्टी संविधान में लागू नियम के रूप में नहीं लिखा गया।
🧾 दिग्गज नेता जिनका करियर “75 उम्र की सीमा” से प्रभावित हुआ
नाम | भूमिका / स्थिति | 75 उम्र के आसपास स्थिति / प्रभाव |
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एल. के. आडवाणी | वरिष्ठ BJP नेता, पूर्व मंत्री | चुनावी मैदान और संगठन में सक्रिय भूमिका कम हुई; उन्हें ‘मार्गदर्शक मंडल’ जैसे पद दिए गए। |
मुर्ली मोहन जोशी | पूर्व केंद्रीय मंत्री | जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, सार्वजनिक उपस्थिति व निर्णयों में भाग कम हुआ। |
कालराज मिश्रा | बीजेपी के वरिष्ठ नेता | 2016‑17 में पदों से हटाये गए जब उम्र 75 पार हुई। |
नजमा हेप्टुल्ला | पूर्व मंत्री व राज्यसभा सदस्य | 75 की उम्र के बाद सक्रिय भूमिका में कमी आई; मंत्री पद से हटाई गई। |
सुमित्रा महाजन | पूर्व लोकसभा अध्यक्ष | 75 के आसपास चुनावी सक्रियता और संगठन भूमिका कम हुई। |
यशवंत सिन्हा | पूर्व वित्त मंत्री, उपाध्यक्ष (बीजेपी) | 80 की आयु में पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा। |
क्या यह “औपचारिक नियम” है?
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कई समाचारों और विश्लेषणों में इसे अनौपचारिक नियम बताया गया है — यानी कि यह पार्टी द्वारा लिखित नियम नहीं है, बल्कि एक व्यवहार या नीति जैसा बन गया है।
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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा है कि 75 की उम्र पार करने के बाद “नेताओं को पीछे हट जाना चाहिए।” लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय विशेष रूप से पार्टी या प्रधानमंत्री पर लागू होने वाला कानून नहीं है।
निष्कर्ष
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नरेंद्र मोदी 75 वर्ष की उम्र में पहुंचने के बाद इस “अनौपचारिक सीमा” की चर्चा फिर से तेज हो गई है।
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इसके बावजूद, पार्टी नेतृत्व और कई वरिष्ठ नेता इस “नियम” को सख्ती से लागू करने के पक्ष में नहीं हैं, खासकर उन नेताओं के लिए जिनका अनुभव और जनाधार ज़्यादा है।
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आने वाले समय में देखा जाना है कि पीएम मोदी या अन्य वरिष्ठ नेता इस सीमा को लेकर खुद क्या निर्णय लेते हैं और पार्टी की नीति में कितना बदलाव आता है।