वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कुछ प्रावधानों पर लगाई रोक, संपूर्ण कानून पर नहीं
नई दिल्ली: वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन को लेकर देशभर में चर्चित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी किया।
कोर्ट ने साफ कर दिया कि पूरे कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि रोक केवल दुर्लभतम परिस्थितियों में ही लगाई जाती है। हालांकि, अदालत ने कानून के कुछ विवादित प्रावधानों पर अंतरिम रोक जरूर लगाई है।
🔹 संपूर्ण कानून पर रोक से इनकार, कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह संपूर्ण वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं देखती।
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हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि कुछ प्रावधानों को लागू किए जाने से रोकना आवश्यक है, जब तक कि संबंधित नियम राज्य सरकारों द्वारा स्पष्ट नहीं कर दिए जाते।
🔹 ये हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें:
1. धारा 3(1)(आर) पर अंतरिम रोक
इस धारा के तहत वक्फ संपत्ति बनाने के लिए कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करने की शर्त थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाई है। 
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कोर्ट ने कहा, जब तक राज्य सरकार यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बनाती कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं, तब तक यह धारा अमल में नहीं लाई जा सकती। 
2. वक्फ संपत्तियों की जांच और प्रविष्टियों पर रोक
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किसी संपत्ति को केवल नामित अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर वक्फ या गैर-वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता। 
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राजस्व रिकॉर्ड और बोर्ड रिकॉर्ड में संशोधन सिर्फ रिपोर्ट के आधार पर नहीं किया जाएगा। 
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धारा 83 के तहत वक्फ न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम निर्णय के बिना किसी तीसरे पक्ष को अधिकार नहीं सौंपा जा सकता। 
3. गैर-मुस्लिमों की सीमित भागीदारी
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राज्य वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। 
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केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 में से अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य ही रखे जा सकते हैं। 
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कोर्ट ने गैर-मुस्लिमों की सीमित सहभागिता को स्वीकार्य माना, लेकिन उनकी संख्या सीमित की। 
4. वक्फ बोर्ड के CEO पर रोक नहीं
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धारा 23 के तहत वक्फ बोर्ड के सीईओ की नियुक्ति मुस्लिम समुदाय से होना वांछनीय है। 
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इस धारा पर कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई। 
🔹 कोर्ट ने क्या कहा?
“हम मानते हैं कि कानून को शुरू से असंवैधानिक घोषित नहीं किया जा सकता। केवल दुर्लभ मामलों में ही ऐसे कानून पर रोक लगाई जा सकती है।”
— सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने यह भी कहा कि उसके ये निर्देश अंतरिम प्रकृति के हैं, और इनका प्रभाव संशोधित कानून की अंतिम वैधता पर बहस या फैसले को प्रभावित नहीं करेगा।
🔹 पृष्ठभूमि: कब-क्या हुआ?
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5 अप्रैल 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ संशोधन अधिनियम को मंजूरी दी। 
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8 अप्रैल 2025: केंद्र सरकार ने इसे अधिसूचित किया। 
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अधिनियम को 3 और 4 अप्रैल को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया। 
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22 मई 2025: सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अंतिम दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रखा था। 
🔹 क्या है वक्फ संशोधन अधिनियम 2025?
यह कानून वक्फ संपत्तियों के संचालन, प्रबंधन और विवाद निपटान से जुड़े पुराने कानूनों को संशोधित करता है। इसमें कुछ नई शर्तें और प्रक्रियाएं जोड़ी गई थीं, जिन पर विवाद उत्पन्न हुआ।
 
             
             
        
 
         
         
         
         
         
         
         
        