भारत में साइबर अपराध का विस्फोट: हर दिन हजारों मामले, बढ़ा बजट भी नाकाम
भारत में डिजिटल विकास ने जहां सुविधाएं बढ़ाईं, वहीं साइबर अपराध की चुनौती भी खड़ी कर दी है। बीते कुछ वर्षों में सरकार ने साइबर सुरक्षा को लेकर बजट में भारी इजाफा किया है, लेकिन इसके बावजूद साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़े हैं। मौजूदा हालात ये हैं कि देश में हर दिन औसतन 5592 साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं।
बजट तीन गुना, लेकिन अपराध पर असर नहीं
पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार ने साइबर सुरक्षा के बजट को तीन गुना तक बढ़ाया है। वर्ष 2020-21 में यह बजट 293 करोड़ रुपए था, जो 2024-25 तक बढ़कर 1004 करोड़ रुपए हो गया। लेकिन इसी दौरान साइबर अपराध के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हुई है।
इन वर्षों में रिपोर्ट किए गए साइबर फ्रॉड के आंकड़े इस प्रकार हैं (लाख में):
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2020: 11.58 लाख
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2021: 14.02 लाख
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2022: 13.91 लाख
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2023: 15.92 लाख
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2024: 20.41 लाख
सरकारी प्रयासों के बावजूद इस तरह के अपराध लगातार चुनौती बने हुए हैं।
सिर्फ जामताड़ा नहीं, अब विदेशों से भी चल रहे हैं साइबर फ्रॉड गैंग
जहां पहले साइबर ठगी के पीछे झारखंड का जामताड़ा या बिहार के नालंदा जैसे क्षेत्रों का नाम लिया जाता था, वहीं अब ये गिरोह सीमाएं पार कर चुके हैं। जानकारी के अनुसार, अब लाओस, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों में साइबर माफियाओं ने अपने ठिकाने बना लिए हैं।
इन देशों में भारतीय युवाओं को नकली नौकरी के नाम पर बुलाया जा रहा है और उन्हें जबरदस्ती साइबर ठगी के रैकेट में धकेला जा रहा है। हाल ही में भारत सरकार के अनुरोध पर कंबोडिया में की गई छापेमारी में 3075 लोग पकड़े गए, जिनमें 105 भारतीय नागरिक भी शामिल थे।
सिर्फ पांच महीनों में 7 हजार करोड़ की ठगी
साइबर धोखाधड़ी से होने वाले आर्थिक नुकसान की बात करें, तो जनवरी से मई 2025 के बीच ठगों ने करीब 7 हजार करोड़ रुपए की चपत लगाई है:
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जनवरी: ₹1,192 करोड़
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फरवरी: ₹1,951 करोड़
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मार्च: ₹1,000 करोड़
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अप्रैल: ₹731 करोड़
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मई: ₹1,999 करोड़
ये आंकड़े केवल दर्ज शिकायतों पर आधारित हैं। वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक हो सकता है।
सरकार की रणनीति और सर्ट-इन की भूमिका
केंद्र सरकार ने साइबर हमलों से निपटने के लिए सर्ट-इन (CERT-In) को मुख्य एजेंसी के रूप में नामित किया है। यह संस्था विभिन्न सेक्टर्स को अलर्ट और तकनीकी जानकारी साझा करती है, ताकि साइबर खतरों को कम किया जा सके। हालांकि, सर्ट-इन की सीमित पहुंच और रियल टाइम मॉनिटरिंग की कमी के चलते यह एजेंसी भी सभी हमलों को रोकने में पूरी तरह सफल नहीं रही है।
लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के प्रयास तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक आम नागरिक सतर्क न रहें।
ठगों के सामान्य तरीकों में शामिल हैं:
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फर्जी ईमेल और SMS से लिंक भेजना
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सोशल मीडिया पर आकर्षक जॉब ऑफर देना
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हाई रिटर्न निवेश स्कीम दिखाकर पैसे ठगना
सावधानियां:
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अनजान नंबर या लिंक पर क्लिक न करें
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अपनी बैंक डिटेल, OTP, पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें
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संदिग्ध कॉल्स या मैसेज तुरंत संबंधित प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें
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RBI और CERT-In की गाइडलाइन्स का पालन करें