आरजीएचएस में बड़ा फर्जीवाड़ा, राजस्थान सरकार ने विधानसभा में स्वीकार की करोड़ों की गड़बड़ियां
राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए शुरू की गई राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) में बड़े स्तर पर अनियमितताएं सामने आई हैं। यह खुलासा राज्य सरकार ने स्वयं राजस्थान विधानसभा में किया है। योजना के संचालन में भारी लापरवाही और फर्जीवाड़े की पुष्टि करते हुए सरकार ने बताया कि अब तक प्रदेशभर में अस्पतालों और फार्मेसियों पर ₹29.75 करोड़ से अधिक की पेनल्टी लगाई जा चुकी है।
विधानसभा में विधायक यूनुस खान द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी गई। सरकार ने माना कि योजना के अंतर्गत जुड़े कई अस्पतालों और दवा दुकानों ने मरीजों के नाम पर अनावश्यक जांच, फर्जी भर्ती और पैकेज रेट्स में हेराफेरी कर करोड़ों के बिल लगाए।
झुंझुनूं बना सबसे बड़ा फर्जीवाड़े का केंद्र
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, झुंझुनूं जिला RGHS फर्जीवाड़े में सबसे आगे रहा, जहां 25 अस्पतालों और फार्मेसियों पर ₹7.01 करोड़ की पेनल्टी लगाई गई।
इसके अलावा जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर और सीकर जैसे प्रमुख जिलों में भी करोड़ों रुपये की अनियमितताएं उजागर हुई हैं।
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किस जिले पर कितनी पेनल्टी, यहां देखें पूरी सूची:
| जिला | अस्पताल-फार्मेसी की संख्या | कुल पेनल्टी राशि | 
|---|---|---|
| झुंझुनूं | 25 | ₹7.01 करोड़ | 
| जयपुर | 78 | ₹4.55 करोड़ | 
| जोधपुर | 20 | ₹3.94 करोड़ | 
| उदयपुर | 09 | ₹2.54 करोड़ | 
| बीकानेर | 08 | ₹1.78 करोड़ | 
| सीकर | 11 | ₹1.10 करोड़ | 
| कोटा | 12 | ₹96.75 लाख | 
| अजमेर | 10 | ₹59.52 लाख | 
| सवाई माधोपुर | 07 | ₹54.09 लाख | 
| श्रीगंगानगर | 06 | ₹34.30 लाख | 
| दौसा | 06 | ₹24.73 लाख | 
| अलवर | 13 | ₹21.24 लाख | 
| हनुमानगढ़ | 05 | ₹15.41 लाख | 
| चूरू | 05 | ₹10.57 लाख | 
सरकार ने अब तक वसूले 20.84 करोड़ रुपये
सरकार ने बताया कि पेनल्टी के रूप में लगाए गए ₹29.75 करोड़ में से अब तक ₹20.84 करोड़ वसूल किए जा चुके हैं। शेष राशि की वसूली की प्रक्रिया जारी है।
विधायकों ने इस मामले पर नाराज़गी जताते हुए मांग की कि दोषी अस्पतालों और फार्मेसियों को योजना से डीलिस्ट किया जाए और भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए सख्त निगरानी व्यवस्था लागू की जाए।
निष्कर्ष
RGHS योजना, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को बिना नकद इलाज की सुविधा देना था, वह भ्रष्टाचार और लापरवाही का शिकार बन चुकी है। अब सरकार के सामने चुनौती है कि वह इन गड़बड़ियों पर कैसे लगाम लगाती है और जनता का भरोसा कैसे बहाल करती है।
 
             
             
        
 
         
         
         
         
         
         
         
        