Rajasthan Politics: श्रीगंगानगर जिला प्रमुख उपचुनाव में कांग्रेस की निर्णायक जीत, भाजपा को भारी झटका
श्रीगंगानगर। राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस ने एक बार फिर भाजपा को करारा जवाब दिया है। श्रीगंगानगर जिला प्रमुख उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार दुलाराम इंदलिया ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए भाजपा प्रत्याशी निर्मला को 26-5 के बड़े अंतर से हराया। यह उपचुनाव राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा था, खासतौर पर इसलिए क्योंकि यह मामला कोर्ट के आदेश के बाद संभव हो पाया।
उपचुनाव में कांग्रेस की रणनीति और एकजुटता का असर
इस उपचुनाव को कांग्रेस की सशक्त रणनीति, संगठनात्मक एकजुटता और जमीनी कार्यकर्ताओं की मेहनत का नतीजा माना जा रहा है। चुनाव के नतीजे घोषित होते ही कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई। दुलाराम इंदलिया अब श्रीगंगानगर के नए जिला प्रमुख बन गए हैं।
घोषणा के समय कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे, जिनमें सांसद कुलदीप इंदौरा, विधायक रूपिंद्र सिंह कुनर, कांग्रेस प्रभारी जिया उर रहमान, सोहन नायक, जिलाध्यक्ष अंकुर मिगलानी, और उप जिला प्रमुख सुदेश मोर शामिल रहे। नेताओं का कहना है कि यह जीत लोकतंत्र और न्याय की जीत है।
- Advertisement -
डोटासरा का भाजपा पर सीधा हमला
राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, सत्य और लोकतंत्र की जीत है। भाजपा पिछले 16 महीनों से षड्यंत्र के तहत चुनाव टाल रही थी और अल्पमत में होने के बावजूद सत्ता का दुरुपयोग करती रही।”
डोटासरा ने कहा कि भाजपा ने जनता की भावना को कुचलने का प्रयास किया, लेकिन अंततः न्यायपालिका के हस्तक्षेप से लोकतंत्र की जीत हुई। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी चुनौती दी कि भरतपुर जिला प्रमुख चुनाव भी शीघ्र कराया जाए, ताकि जनता की आवाज़ का सम्मान हो।
भाजपा को राजनीतिक चेतावनी
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह परिणाम केवल एक उपचुनाव नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेत है कि कांग्रेस अभी भी मजबूत स्थिति में है, विशेष रूप से स्थानीय स्तर की राजनीति में। वहीं, भाजपा के लिए यह एक राजनीतिक चेतावनी मानी जा रही है कि सत्ता में होने के बावजूद संगठन स्तर पर कमजोरी साफ नजर आ रही है।
न्यायिक हस्तक्षेप से हुआ चुनाव संभव
गौरतलब है कि यह उपचुनाव काफी समय से विवादों और कानूनी प्रक्रियाओं के चलते लंबित था। लेकिन कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इसे संपन्न करवाया गया। अब जब परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आया है, तो यह कानूनी और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सफलता के रूप में देखा जा रहा है।