राजस्थान: ‘प्रशासन शहरों के संग’ अभियान के पट्टों की जांच शुरू, 30 फर्जी रद्द, 4 अधिकारी निलंबित
जयपुर। राजस्थान में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चलाए गए ‘प्रशासन शहरों के संग’ अभियान के तहत जारी किए गए लगभग 9 लाख पट्टों की अब भाजपा सरकार ने जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में ही 30 फर्जी पट्टे रद्द किए गए हैं और चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
इनमें जयपुर नगर निगम हेरिटेज के पूर्व उप आयुक्त सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। साथ ही, कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में पट्टे जारी करने पर रोक भी लगा दी गई है।
कहां से शुरू हुई जांच और क्या मिले सबूत
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यूडीएच विभाग ने सबसे पहले सांचौर (जालौर) और जयपुर शहर में जांच शुरू की।
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सांचौर में 13 फर्जी पट्टे चिन्हित कर रद्द किए गए।
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अब तक 30 पट्टे अवैध घोषित किए जा चुके हैं।
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जांच में नकली दस्तावेज, नियमों के विरुद्ध स्वीकृति और बिना जांच के अलॉटमेंट जैसी गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं।
चार अधिकारियों पर गिरी गाज
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जयपुर नगर निगम हेरिटेज के पूर्व उप आयुक्त सहित चार अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित किया गया है।
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इन पर आरोप है कि जानबूझकर अनियमित पट्टे जारी किए, और राजनीतिक दबाव में नियमों को ताक पर रखा।
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इनके खिलाफ विभागीय जांच जारी है, और आगे FIR व कानूनी कार्रवाई की भी संभावना है।
नए आवेदकों को नहीं होगी परेशानी: मंत्री झाबर सिंह खर्रा
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने स्पष्ट किया कि—
“जांच केवल पुराने पट्टों की वैधता को लेकर है, नए आवेदनकर्ताओं को कोई दिक्कत नहीं होगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि—
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सभी फर्जी पट्टों को तुरंत रद्द किया जाएगा।
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दोषी अधिकारियों और बिचौलियों पर कानूनी कार्रवाई होगी।
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पट्टा प्रणाली को पारदर्शी और डिजिटली नियंत्रित किया जाएगा।
इन इलाकों में पट्टों पर रोक, क्यों?
जयपुर के नाहरगढ़ ईको-सेंसिटिव जोन और बफर जोन में बने मकानों को लेकर पट्टा वितरण पर पूर्ण रोक लगा दी गई है। सरकार का कहना है कि—
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ये इलाके पर्यावरणीय रूप से संरक्षित क्षेत्र हैं।
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यहां निर्माण प्रारंभ से ही अवैध था।
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इस पर राजनीतिक संरक्षण और अधिकारी की लापरवाही से विकास हुआ।
मंत्री ने यह भी जोड़ा कि—
“इन अवैध बस्तियों के लिए न तो अब पट्टे मिलेंगे और न ही इन्हें वैध घोषित किया जाएगा।”
पृष्ठभूमि: क्या था ‘प्रशासन शहरों के संग’ अभियान?
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कांग्रेस शासन में शुरू हुआ यह अभियान शहरी अवैध बस्तियों को नियमित करने और मालिकाना हक देने की योजना थी।
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इस योजना के तहत लगभग 9 लाख पट्टे जारी किए गए, जिनमें हजारों अवैध कॉलोनियों को कानूनी मान्यता दी गई।
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अब भाजपा सरकार का दावा है कि इस योजना के तहत व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ।
अब आगे क्या?
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सभी जिलों में विशेष जांच टीमें गठित की जा रही हैं।
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हर पट्टे की भौतिक व दस्तावेजी जांच की जाएगी।
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जिन कॉलोनियों को गलत तरीके से नियमित किया गया, उन्हें भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।
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दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों, बिचौलियों और लाभार्थियों पर मुकदमा दर्ज होगा।