Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Reading: हजरतबल विवाद: धार्मिक स्थल पर प्रतीक चिन्ह क्यों? उमर अब्दुल्ला और महबूबा का बयान
Share
Aa
Aa
Khabar21
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Search
  • होम
  • बीकानेर
  • राजस्थान
  • देश-दुनिया
  • व्यापार
  • मनोरंजन
  • धार्मिक
  • करियर
  • खेल
Follow US
Khabar21 > Blog > देश-दुनिया > हजरतबल विवाद: धार्मिक स्थल पर प्रतीक चिन्ह क्यों? उमर अब्दुल्ला और महबूबा का बयान
देश-दुनिया

हजरतबल विवाद: धार्मिक स्थल पर प्रतीक चिन्ह क्यों? उमर अब्दुल्ला और महबूबा का बयान

editor
editor Published September 6, 2025
Last updated: 2025/09/06 at 6:02 PM
Share
SHARE
Chat on WhatsApp
Share News

हजरतबल दरगाह विवाद: प्रतीक चिन्ह पर उठे सवाल, CM उमर अब्दुल्ला बोले- धार्मिक स्थल सरकारी नहीं होते

Contents
सीएम उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?‘पहले माफी मांगनी चाहिए थी’महबूबा मुफ्ती ने जताई सहमति, भावनाओं का हवाला दियावक्फ बोर्ड को बताया जिम्मेदारक्या है पूरा विवाद?क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राष्ट्र प्रतीकों का मुद्दा है?निष्कर्ष

श्रीनगर।
जम्मू-कश्मीर के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक हजरतबल दरगाह एक बार फिर विवादों में है। ईद-ए-मिलाद के मौके पर दरगाह परिसर में लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह और पट्टिका को तोड़ने की घटना के बाद सियासी बवाल तेज हो गया है। इस विवाद पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। दोनों नेताओं ने धार्मिक स्थलों पर प्रतीक चिन्ह लगाने के फैसले पर सवाल उठाए हैं।


सीएम उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस विवाद को “भावनाओं से जुड़ा गंभीर मसला” बताते हुए कहा:

“मैंने कभी किसी धार्मिक समारोह में राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का उपयोग होते नहीं देखा। ऐसे में हजरतबल दरगाह की आधारशिला पर प्रतीक चिन्ह लगाने की क्या आवश्यकता थी?”

- Advertisement -

उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्थल सरकारी नहीं होते, इसलिए वहां राज्य या राष्ट्र के प्रतीकों का प्रयोग करना उचित नहीं है।

“मस्जिदें, मंदिर, गुरुद्वारे और दरगाहें किसी सरकार की संपत्ति नहीं हैं। वहां प्रतीकों का इस्तेमाल लोगों की आस्था को ठेस पहुंचा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि शेख अब्दुल्ला ने इस दरगाह के पुनर्निर्माण और मरम्मत में योगदान दिया, लेकिन उन्होंने कभी अपना नाम दर्शाने वाली पट्टिका नहीं लगाई।

“जो योगदान देता है, लोग उसे याद रखते हैं। श्रेय लेने के लिए प्रतीक या पत्थर की जरूरत नहीं होती।”


‘पहले माफी मांगनी चाहिए थी’

सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि यह विवाद सिर्फ पट्टिका टूटने का मामला नहीं, बल्कि एक संवेदनशील धार्मिक स्थल पर भावनाओं को अनदेखा करने का परिणाम है।

“सबसे पहले, जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं, उनसे माफी मांगी जानी चाहिए। फिर यह सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ।”

उन्होंने यह भी कहा कि प्रतीक चिन्हों का इस्तेमाल सरकारी आयोजनों तक सीमित होना चाहिए, न कि धार्मिक स्थानों पर।


महबूबा मुफ्ती ने जताई सहमति, भावनाओं का हवाला दिया

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस घटना को भावनाओं की प्रतिक्रिया बताया। उन्होंने कहा:

“जिन लोगों ने प्रतीक चिन्ह तोड़ा, उन्होंने ऐसा भावनाओं में बहकर किया। इसका मतलब यह नहीं कि वे राष्ट्रीय प्रतीक के खिलाफ हैं।”

उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले में जनता को आतंकवादी कहना या पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तार करना अतिरेक और अन्यायपूर्ण होगा।


वक्फ बोर्ड को बताया जिम्मेदार

महबूबा ने सीधे-सीधे वक्फ बोर्ड को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया और धारा 295-A के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

“यह हमारे लिए धार्मिक अपमान (ब्लास्फेमी) जैसा है। अगर किसी संस्था ने ऐसा कदम उठाया, तो उसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।”


क्या है पूरा विवाद?

  • शुक्रवार को ईद-ए-मिलाद के दिन बड़ी संख्या में लोग हजरतबल दरगाह में एकत्रित हुए थे।

  • इसी दौरान दरगाह के भीतर लगी राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह और पट्टिका को भीड़ ने क्षतिग्रस्त कर दिया।

  • वक्फ बोर्ड द्वारा हाल ही में यह प्रतीक चिन्ह लगाया गया था, जिसे लेकर पहले से नाराजगी जताई जा रही थी।

  • घटना के बाद श्रीनगर में तनाव का माहौल बन गया और मामला राजनीतिक रूप से भी गर्मा गया।

  • बीजेपी ने इसे देश के प्रतीक को “मिटाने की कोशिश” बताया और कड़ी कार्रवाई की मांग की।


क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राष्ट्र प्रतीकों का मुद्दा है?

यह विवाद एक जटिल संवेदनशीलता को उजागर करता है—जहां एक ओर राष्ट्र का सम्मान जरूरी है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक स्थलों की संप्रभुता और श्रद्धालुओं की भावनाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि:

  • धार्मिक स्थलों पर कोई भी सरकारी हस्तक्षेप सावधानीपूर्वक और समुदाय की सहमति से होना चाहिए।

  • प्रतीक चिन्ह लगाना यदि स्थानीय परंपरा या संवेदना के विरुद्ध हो, तो विवाद स्वाभाविक है।


निष्कर्ष

हजरतबल विवाद ने एक बार फिर दिखा दिया कि धार्मिक स्थलों पर राजनीतिक या प्रशासनिक गतिविधियों में अत्यधिक सतर्कता की आवश्यकता होती है।


Share News

editor September 6, 2025
Share this Article
Facebook TwitterEmail Print

Latest Post

बीकाणा अपडेट: हादसों, अपराध और सामाजिक गतिविधियों की दिनभर की बड़ी अपडेट
बीकानेर
बीकानेर: सोने की हेराफेरी का मामला दर्ज, दो के खिलाफ कोतवाली थाने में रिपोर्ट
बीकानेर
5 नवम्बर को रहेगा सार्वजनिक अवकाश, गुरु नानक जयंती पर बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज
राजस्थान
सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए नीट-जेईई की फ्री कोचिंग शुरू
राजस्थान
डिजिटल अरेस्ट ठगी पर SC सख्त, कहा- अब नहीं बरती गई सख्ती तो हालात होंगे भयावह
देश-दुनिया
लालगढ़ रेलवे स्टेशन पर बुजुर्ग का शव मिलने से हड़कंप
बीकानेर
बस में घुसकर लाठी-सरियों से हमला, कंडेक्टर से 48 हजार लूटे गए
बीकानेर
रूफटॉप सोलर प्लांट मालिकों के लिए बड़ी राहत, राजस्थान ने खरीद दर बढ़ाई
बीकानेर

You Might Also Like

देश-दुनिया

डिजिटल अरेस्ट ठगी पर SC सख्त, कहा- अब नहीं बरती गई सख्ती तो हालात होंगे भयावह

Published November 3, 2025
देश-दुनिया

52 साल बाद भारतीय महिला टीम ने रचा इतिहास, पहली बार बनी विश्व चैंपियन

Published November 3, 2025
देश-दुनिया

इसरो का ‘बाहुबली’ रॉकेट फिर चमका, नौसेना को मिला सबसे उन्नत संचार उपग्रह CMS-03

Published November 2, 2025
देश-दुनिया

पाकिस्तान में मीडिया पर अघोषित सेंसरशिप, पत्रकारों पर संकट, IFJ ने जताई चिंता

Published November 2, 2025
Khabar21
Follow US

© Copyright 2022, All Rights Reserved Khabar21 | Designed by Uddan Promotions Pvt. Ltd.

  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
Join WhatsApp Group

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?