बीकानेर।
सर्किट हाउस के ठीक पीछे जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) द्वारा एक सार्वजनिक पानी की टंकी का निर्माण कराया जा रहा है, लेकिन इस निर्माण कार्य में मजदूरों की सुरक्षा के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है। यह लापरवाही न केवल नियमों की अवहेलना है बल्कि मानव जीवन को सीधा जोखिम भी है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी, जानलेवा लापरवाही
निर्माण कार्य में लगे मजदूर बिना किसी सेफ्टी गियर के ऊंचाई पर काम कर रहे हैं। न तो उनके पास सेफ्टी बेल्ट है, न हेलमेट, न दस्ताने, और न ही पैरों में सुरक्षा जूते। काम के दौरान कोई सुरक्षा अधिकारी या वॉचमैन भी मौजूद नहीं दिखाई दिया जो नीचे के क्षेत्र की निगरानी करे या बैरिकेडिंग कर रखे।
निर्माण स्थलों के अनिवार्य सुरक्षा मानक:
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ऊंचाई पर काम कर रहे मजदूरों को सुरक्षा बेल्ट से बांधना
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येलो कलर का हेलमेट, सेफ्टी ग्लव्स, गॉगल्स और मजबूत जूते
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नीचे रेडियम जैकेट पहने व्यक्ति द्वारा बैरिकेटिंग और निगरानी
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सभी औजारों को रस्सियों से बांधना ताकि गिरने पर नुकसान न हो
लेकिन मौके पर इन सभी नियमों का कोई पालन नहीं किया जा रहा है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब यह निर्माण सर्किट हाउस जैसे संवेदनशील क्षेत्र के पास हो रहा है, जहां हर दिन बड़े अफसरों और जनप्रतिनिधियों की आवाजाही रहती है।
ठेकेदार की मनमानी, विभाग की चुप्पी
स्थानीय मजदूरों ने बताया कि उनके पास कुछ सेफ्टी इक्विपमेंट हैं लेकिन वह “घर पर रखे हुए हैं”, जो कि खुद एक गैर-जिम्मेदाराना रवैया है। इससे साफ है कि ठेकेदार ने मजदूरों की सुरक्षा जिम्मेदारी से पूरी तरह पल्ला झाड़ रखा है। वहीं विभागीय अधिकारी भी नियमित निरीक्षण नहीं कर रहे, जिससे उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
कौन लेगा जिम्मेदारी, अगर हादसा हो गया?
पूर्व में ऐसे ही निर्माण कार्यों में लापरवाही के कारण कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें जान भी जा चुकी है। सवाल यह है कि अगर यहां भी कोई दुर्घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या विभाग, ठेकेदार या फिर मजदूर खुद?
समय रहते चेत जाएं जिम्मेदार
यह खबर सिर्फ एक निर्माण कार्य की लापरवाही नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता का प्रतीक है। अगर संबंधित विभाग और प्रशासन समय रहते सख्ती नहीं दिखाते, तो यह अनदेखी एक बड़े हादसे का कारण बन सकती है।