SI भर्ती 2021 में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, ब्लूटूथ से लेकर डमी तक का इस्तेमाल
जयपुर। राजस्थान की चर्चित एसआई भर्ती परीक्षा 2021 अब गंभीर भ्रष्टाचार और सुनियोजित धोखाधड़ी का प्रतीक बन चुकी है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की जांच में खुलासा हुआ है कि इस परीक्षा के जरिए बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने अवैध तरीकों से सफलता पाई और अब वे पुलिस विभाग में थानेदार के पद पर कार्यरत हैं — जिनमें से 63 थानेदारों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
जांच से सामने आया है कि परीक्षार्थियों ने चार अलग-अलग तरीकों से परीक्षा में धोखाधड़ी की — लीक पेपर, डमी कैंडिडेट, ब्लूटूथ डिवाइस और परीक्षा केंद्रों पर उत्तर कुंजी की हेराफेरी।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा? देखें पूरा आंकड़ा:
फर्जीवाड़े का तरीका | गिरफ्तार थानेदार |
---|---|
लीक सॉल्वड पेपर से परीक्षा पास | 41 |
डमी अभ्यर्थी से परीक्षा दिलवाना | 15 |
ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए नकल | 05 |
परीक्षा केंद्र पर उत्तर कुंजी प्राप्त की | 01 |
खुद परीक्षा दी, लेकिन दूसरों की जगह बैठी | 01 |
कुल गिरफ्तार थानेदार | 63 |
महिला थानेदार वर्षा का चौंकाने वाला मामला
इस घोटाले का सबसे हैरान करने वाला खुलासा महिला थानेदार वर्षा को लेकर हुआ है। वर्षा ने न सिर्फ अपनी परीक्षा दी और उत्तीर्ण की, बल्कि दो अन्य महिला अभ्यर्थियों की जगह खुद परीक्षा देकर उन्हें भी पास कराया।
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13 सितंबर 2021 को वर्षा ने इंदुबाला की जगह परीक्षा दी, जिसे 1139वीं रैंक मिली।
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14 सितंबर 2021 को उसने भगवती की जगह बैठकर परीक्षा दी, जो 239वीं रैंक पर चयनित हुई।
यह भी सामने आया है कि वर्षा पहले एक सरकारी शिक्षिका थी और उस पर कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी डमी कैंडिडेट के रूप में बैठने का संदेह है।
चयनित लेकिन जॉइनिंग नहीं देने वालों पर भी शक
गिरफ्तार किए गए कुछ थानेदार ऐसे भी हैं जिन्होंने परीक्षा पास की और चयन भी मिला, लेकिन जॉइनिंग देने से इनकार कर दिया। SOG को शक है कि वे भी किसी न किसी तरह इस भर्ती घोटाले का हिस्सा रहे हैं।
पुलिस विभाग की साख पर सवाल
एसआई भर्ती जैसी संवेदनशील परीक्षा में इस स्तर की गड़बड़ी सामने आने के बाद राज्य पुलिस की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे हैं। इतना ही नहीं, थानेदार जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे अधिकारियों की योग्यता पर भी संशय गहरा गया है।
आगे की कार्रवाई
SOG अब इस पूरे घोटाले में शामिल नेटवर्क की परत-दर-परत जांच कर रही है, जिसमें परीक्षा केंद्रों के कर्मचारी, कोचिंग संस्थान, तकनीकी विशेषज्ञ और दलाल शामिल हो सकते हैं। यह भी जांच की जा रही है कि कहीं इसमें उच्च स्तरीय मिलीभगत तो नहीं थी।