दिल्ली में तीन दिन तक RSS प्रमुख मोहन भागवत का शताब्दी संबोधन, वैश्विक मंच पर संघ की सोच
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष समारोह की औपचारिक शुरुआत आज से दिल्ली के विज्ञान भवन में हो गई है। संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत तीन दिनों तक देश-विदेश की प्रमुख हस्तियों के समक्ष न केवल संघ की विचारधारा को साझा करेंगे, बल्कि संगठन की आगामी 100 वर्षों की दिशा और कार्यनीति का खाका भी पेश करेंगे।
17 क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां आमंत्रित, राजनयिक से लेकर न्यायाधीश तक होंगे शामिल
इस विशेष व्याख्यान शृंखला में राजनीति, उद्योग, समाजसेवा, मीडिया और न्यायपालिका सहित 17 अलग-अलग क्षेत्रों की हस्तियों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में करीब 2,000 लोगों के शामिल होने की संभावना है।
आयोजन की खास बात यह है कि इसमें राजनीतिक विभाजन से परे जाकर विभिन्न विचारधाराओं के लोगों को जोड़ा जा रहा है। एनडीए सहयोगियों के साथ-साथ विपक्षी नेताओं को भी बुलाया गया है।
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प्रमुख उपस्थितगणों में शामिल हैं:
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
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केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल
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टीडीपी नेता और मंत्री राममोहन नायडू
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जेडीयू के केसी त्यागी
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और अन्य राजनैतिक नेता, अधिकारी, पूर्व न्यायाधीश
वैश्विक स्तर पर पहुंचेगा संघ का दृष्टिकोण, 50 देशों के राजदूतों को न्योता
आरएसएस ने इस कार्यक्रम में 50 से अधिक देशों के राजदूतों को भी आमंत्रित किया है, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, सऊदी अरब, यूएई, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल और अन्य मुस्लिम देश प्रमुख हैं।
संघ का प्रयास है कि इस व्याख्यान शृंखला के जरिए विश्व को यह बताया जाए कि संघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा को जीवित रखने वाला मंच है।
संघ की 100 साल की यात्रा और भविष्य की दिशा
संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि यह आयोजन भारत के प्रत्येक वर्ग, समुदाय और विचारधारा से संवाद स्थापित करने का एक प्रयास है।
उन्होंने कहा,
“हमने विपक्षी नेताओं को भी आमंत्रित किया है, क्योंकि हमारा विचार है कि राष्ट्रनिर्माण में सभी की सहभागिता आवश्यक है। आरएसएस की सोच भारतीय परंपराओं से जन्मी है, और यह देश की एकता के लिए काम करने वाली शक्ति है।”
संघ की रणनीति: संवाद, समावेश और सहयोग
तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में मोहन भागवत का मुख्य फोकस होगा:
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भारत की वैचारिक विविधता में एकता
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संघ की 100 वर्षों की भूमिका
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भविष्य में संघ का राष्ट्रीय निर्माण में योगदान
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नवाचार, युवा भागीदारी, और वैश्विक मंचों पर भारत की प्रस्तुति