राजस्थान के स्कूल पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव, अब राम, कृष्ण और वीरों की गाथाएं होंगी शामिल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत राजस्थान सरकार ने स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए उसे अधिक समग्र, कौशल-आधारित और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (आरएससीईआरटी), उदयपुर द्वारा तैयार किए गए नए पाठ्यक्रम में अब बच्चों को भगवान राम, भगवान कृष्ण, छत्रपति शिवाजी और लोक देवता तेजाजी जैसे महान व्यक्तित्वों की कहानियों के माध्यम से नैतिकता, नेतृत्व और वीरता की शिक्षा दी जाएगी।
नैतिक और सांस्कृतिक शिक्षा पर ज़ोर
राज्य सरकार का उद्देश्य केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित न रहते हुए बच्चों के सामाजिक और नैतिक विकास को भी प्राथमिकता देना है। इसी के तहत प्राथमिक कक्षाओं की हिंदी पाठ्यपुस्तकों में उन महापुरुषों की जीवनी को जोड़ा गया है, जो भारतीय इतिहास और संस्कृति में अनुकरणीय माने जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, राम और कृष्ण जैसे आदर्श चरित्र बच्चों को सत्य, करुणा और साहस जैसे मूल्यों से परिचित कराएंगे, जबकि शिवाजी और तेजाजी की वीर गाथाएं उन्हें नेतृत्व और आत्म-सम्मान के महत्व को समझने में मदद करेंगी।
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पुराने पाठ हटाए गए
हालांकि, नए पाठ्यक्रम में कई पुराने अध्यायों को हटाया भी गया है। उदाहरण के तौर पर:
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कक्षा 5 की हिंदी पुस्तक से सिस्टर निवेदिता की जीवनी और कबीर-रहीम के दोहे हटाए गए हैं।
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कक्षा 4 की पुस्तक से पन्नाधाय और कालीबाई भील जैसे ऐतिहासिक चरित्रों की कहानियों को स्थान नहीं मिला।
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इसके अलावा निर्वाचन प्रक्रिया और गोडावण जैसे पर्यावरणीय विषय भी अब नई किताबों का हिस्सा नहीं हैं।
शासन का पक्ष
आरएससीईआरटी की निदेशक श्वेता फगेडिया के अनुसार, “नई पाठ्यपुस्तकों को समग्र व कौशल-आधारित बनाया गया है। छात्रों को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने और स्थानीय महापुरुषों को स्थान देने की दिशा में यह प्रयास किया गया है।”
नवाचार की दिशा में कदम
राजस्थान का यह पाठ्यक्रम परिवर्तन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भावना के अनुरूप है, जिसमें शिक्षा को समावेशी, मूल्यों से परिपूर्ण और व्यवहारिक बनाने पर ज़ोर दिया गया है। राज्य सरकार का दावा है कि यह बदलाव बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ने और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा।
इस बदलाव के चलते अब राजस्थान के स्कूली बच्चे भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक परंपराओं को आधुनिक शिक्षाशास्त्र के साथ जोड़कर पढ़ेंगे।